लाइव न्यूज़ :

किसान आंदोलन : दिल्ली की बॉर्डरों पर हॉटस्पॉट बना सिंघू बॉर्डर

By भाषा | Updated: December 17, 2020 17:58 IST

Open in App

तृषा मुखर्जी

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर कृषि कानूनों के विरोध में हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कई मायनों में सिंघू बॉर्डर हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है और बाकी जगहों के मुकाबले वह ज्यादा सुर्खियों में है।

वैसे तो अपनी मांगों और अधिकारों को लेकर टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में जोश की कोई कमी नहीं है, लेकिन सिंघू बॉर्डर के मुकाबले यहां प्रदर्शनकारियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं में कुछ कमी जरूर है।

प्रदर्शन के दौरान लगातार सुर्खियों में बने हुए सिंघू बॉर्डर को लगातार मदद मिल रही है, फिर चाहे पर नकदी हो या साजो-सामान के रूप में।

पिछले एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त से चल रहे आंदोलन के दौरान लोगों ने व्यक्तिगत रूप से, गुरुद्वारा समितियों और गैर सरकारी संगठनों ने यहां सुविधाओं के लिए दिल खोल कर दान दिया है और तमाम तरह की तकनीकी सुविधाएं भी जुटा रहे हैं।

बॉर्डर पर बैठे हजारों किसान केन्द्र द्वारा सितंबर में बनाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं, लेकिन अन्य राज्यों के किसान भी इसमें भाग ले रहे हैं। वहीं केन्द्र सरकार अपने इन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करने योग्य बता रही है।

सिंघू बॉर्डर पर 26 नवंबर से धरना दे रहे रणजीत सिंह का कहना है कि चूंकि यह पहला प्रदर्शन स्थल है, इसलिए लोगों का ध्यान इस पर ज्यादा है।

भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के सदस्य का कहना है, ‘‘टिकरी और गाजीपुर से पहले सिंघू बॉर्डर सुर्खियों में आया, इसलिए सभी संगठन मदद करने के लिए यहीं आ रहे हैं, लेकिन वे लोग दूसरे बॉर्डरों पर भी ऐसी ही सेवाएं दे रहे हैं।’’

उनका कहना है, ‘‘यहां आपको सुविधाएं ज्यादा इसलिए लग रही हैं, क्योंकि यहां लोगों की संख्या ज्यादा है। इतनी सी बात है। लेकिन अपने अधिकारों के लिए लड़ने की भावना हर जगह समान है।’’

सिंघू बॉर्डर पर उपलब्ध तकनीकों में रोटी बनाने की मशीनें और दाल-चावल बनाने के लिए स्टीम बॉयलर जैसी मशीनें सबसे पहले आपको नजर आती हैं।

लंगरों में लगी इन मशीनों की मदद से एक घंटे में 1,000-1,200 रोटियां और 50 किलो दाल-चावल पकाया जा सकता है। इससे बॉर्डर पर पूरे दिन सभी के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराने में सुविधा हो रही है।

अपने फोन चार्ज करने और वाशिंग मशीन चलाने के लिए कई किसानों ने अपने ट्रैक्टरों पर सोलर पैनल लगाए हुए हैं।

टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भी सुविधाओं की कमी नहीं है, लेकिन वहां तकनीक के लिहाज से चीजें कुछ कम हैं। इन दोनों जगहों पर भी कई लंगर चल रहे हैं और मोबाइल चार्ज करने से लेकर चिकित्सा तक की सुविधा उपलब्ध है।

लेकिन कुछ लोग अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की आर्थिक स्थिति में फर्क होने के कारण सुविधाओं में अंतर होने का दावा कर रहे हैं। हालांकि तीनों की जगहों पर पांच से लेकर 50 एकड़ जमीन तक के मालिक किसान प्रदर्शन में शामिल हैं।

प्रदर्शन में शामिल कई लोगों का कहना है कि सिंघू बॉर्डर पर सुविधाएं इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि वह सुर्खियों में है। टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल किसान जगतार सिंह भागीवंदर का कहना है कि सिंघू और टिकरी बॉर्डर, दोनों ही जगहों पर काफी लोग हैं।

उनका कहना है, ‘‘सुविधाओं के लिहाज से सिंघू बॉर्डर को फायदा हो रहा है क्योंकि वह हाईवे पर है और वहां पहुंचना आसान है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक कारण यह भी है कि सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे ज्यादातर किसान धनी परिवारों से ताल्लुक रखते हैं।’’

टिकरी बॉर्डर पर ही प्रदर्शन में शामिल गुरनाम सिंह का कहना है कि यहां भी सिंघू बॉर्डर जितनी ही सुविधाएं हैं। उनका कहना है कि अगर थोड़ा-बहुत कुछ अंतर है भी तो वह शायद इसलिए है क्योंकि ‘आंदोलन का मुख्य नेतृत्व’ सिंघू बॉर्डर पर है।

गुरनाम का कहना है, ‘‘हमें भी रोजाना करीब एक लाख रुपये तक की दान राशि मिल रही है, लेकिन सिंघू बॉर्डर को ज्यादा इसलिए मिल रहा है क्योंकि वह हमारे आंदोलन का मुख्य बिन्दू है। इसलिए किसानों के धनी-गरीब होने से कोई लेना-देना नहीं है। हमें नहीं पता था कि हम दिल्ली पहुंच पाएंगे या नहीं, ऐसे में जब हमें हरियाणा में प्रवेश करने दिया गया, हम टिकरी बॉर्डर की तरफ आ गए और मुख्य नेतृत्व सिंघू बॉर्डर में रहा।’’

टिकरी और सिंघू बॉर्डर के मुकाबले गाजीपुर में लोग और सुविधाएं दोनों कम हैं, लेकिन किसी की जुबान पर शिकायत नहीं है।

कन्नौज से आए किसान आलोक सोलंकी का कहना है, ‘‘सिंघू बॉर्डर पर ज्यादा सुविधाएं मिल रही हैं क्योंकि वहां लोग भी ज्यादा हैं। प्रदर्शन स्थलों के बीच कोई प्रतियोगिता नहीं हो रही है। हम सभी यहां अपनी मांगों को लेकर आएं हैं और हमें जो भी सुविधाएं मिल रही हैं उससे हमारे आंदोलन को मदद मिल रही है।’’

उनका कहना है, ‘‘हमारे पास रोटी बनाने वाली मशीन नहीं है, लेकिन भोजन की कमी नहीं है। सिंघू और टिकरी बॉर्डर की तरह हम भी ट्रैक्टर से अपने फोन चार्ज कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतGoa Nightclub Fire: आग लगने के कुछ घंटों बाद मालिक इंडिगो फ्लाइट से फुकेट भागा, हादसे में 25 लोगों की हुई मौत

भारतVIDEO: कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए, पीएम मोदी...

भारतVIDEO: कांग्रेस महिला विरोधी है, अपशब्द बोलते रहते हैं, कंगना रनौत...

भारतVIDEO: नेहरू ने इसरो नहीं बनाया होता आपका मंगलयान ना होता, लोकसभा में प्रियंका गांधी

भारतनवजोत कौर सिद्धू को उनके विवादित बयान के कारण कांग्रेस पार्टी से किया गया सस्पेंड

भारत अधिक खबरें

भारतउमर अब्दुल्ला ने बताया कैसे एक ठुकराई हुई लड़की ने पुलिस से अपने एक्स- बॉयफ्रेंड के बारे में शिकायत की और फिर हुआ दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश का पर्दाफ़ाश

भारत'आप यहां चुनाव के लिए हैं, हम यहां देश के लिए हैं': प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी, बीजेपी पर हमला किया

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

भारतमुकदमों की अंबार से दबी बिहार की अदालतें, 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों के कारण समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को न्याय