पिछले 3 दिनों में 2 प्रवासी श्रमिकों की हत्या से दहशतजदा है मजदूर, लाख कोशिशों के बावजूद घाटी से पलायन जारी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 20, 2022 16:13 IST2022-10-20T16:07:25+5:302022-10-20T16:13:08+5:30

आपको बता दें कि तीन दिनों के भीतर दो प्रवासी नागरिकों की हत्याओं ने प्रवासी श्रमिकों को चिंता में डाल दिया है। प्रवासी नागरिक दहशतजदा हैं और इस बात को पुलिस भी दबे शब्दों में मानती है।

killing 2 migrant workers last 3 days jammu kashmir migration continues valley despite lakhs efforts | पिछले 3 दिनों में 2 प्रवासी श्रमिकों की हत्या से दहशतजदा है मजदूर, लाख कोशिशों के बावजूद घाटी से पलायन जारी

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsलाख कोशिशों के बावजूद भी घाटी से प्रवासी श्रमिकों का पलायन हो रहा है। ऐसे में पुलिस का कहना है कि वे हर किसी को सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकते है। इस पर प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि उन्हें घर वापस लौटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

जम्मू: तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद कश्मीर से प्रवासी श्रमिकों का अपने घरों को लौटना रूक नहीं पा रहा है। तीन दिनों के भीतर दो प्रवासी नागरिकों की हत्याओं ने उन्हें चिंता में डाल दिया है। प्रवासी नागरिक दहशतजदा हैं पुलिस भी दबे शब्दों में मानती है और कहती है कि एक-एक को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। चिंता की बात यह है कि हाई अलर्ट के बावजूद आतंकी टारगेट किलिंग करने में कामयाब हो रहे हैं।

दिवाली और छठ से पहले ही प्रवासी श्रमिक घाटी छोड़ जा रहे है घर

आमतौर पर दिवाली और छठ के लिए इस समय श्रमिक घर लौटते ही हैं परंतु हाल की घटनाओं ने इनमें दहशत पैदा कर दी है। जिसके कारण इस बार यह जल्दी लौट रहे हैं। शोपियां में 60 घंटे के भीतर तीन लक्षित हत्याओं से पनपे भय के माहौल के बीच श्रमिक अपने कामकाज छोड़ घाटी छोड़ रहे हैं।

जम्मू रेलवे स्टेशन पर घाटी से आ रहे श्रमिकों की भीड़ उमड़ रही है। इन श्रमिकों में सबसे ज्यादा यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के हैं। श्रमिकों ने कहा कि हम मेहनतकश लोग हैं, फिर हमे क्यों निशाना बनाया जा रहा है। पिछले साल भी अक्तूबर में ही आतंकियों ने श्रमिकों की हत्या की थी। इन श्रमिकों का कहना था कि उस समय भी हमें घाटी छोड़नी पड़ी थी। 

घर लौटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं-प्रवासी श्रमिक

कश्मीर बाहरी राज्यों के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। श्रमिक वहां काम करने जाते हैं मरने नहीं। जब भी श्रमिकों को मारने की खबर मिलती है तो डर लगता है। गांव से फोन आने शुरू हो जाते हैं। डर के माहौल में हमारे सामने कश्मीर घाटी छोड़ लौटने के सिवाए दूसरा कोई विकल्प नहीं होता।

यह सच है कि कश्मीर में गैर कश्मीरियों को निशाना बनाए जाने से खौफजदा प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ीदारों का कश्मीर से अपने घरों को लौटने का सिलसिला तेजी पकड़ चुका है। श्रीनगर के साथ ही दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग व पुलवामा से कुछ दिहाड़ीदारों की बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वापसी हो गई है। अनुमानतः घर लौटने वालों की संख्या सैंकड़ों में है।

अपना दबदबा बनाने के लिए ये सब करते है आतंकी

ये सब ऐसे लोग हैं जिनका न तो आतंकवाद और न ही आतंकियों से कोई नाता रिश्ता रहा है। न ही ये सुरक्षा बलों को जानते-समझते हैं। प्रवासी तो रोजी-रोजगार के चक्कर में कश्मीर का रुख किए हैं। ज्यादातर दक्ष मजदूर चाहे कारपेंटर हों या फिर पेंट करने वाले, चाहे मजदूर हों या अन्य दक्ष कार्य करने वाले, सब गैर कश्मीरी हैं। 

आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी आतंकियों ने तीन ट्रक चालकों को जिंदा जला दिया था। यह सब केवल अपनी उपस्थिति जताने और डर पैदा करने के लिए आतंकियों ने किया था।

कश्मीर पर सेवानिृत्त अधिकारी का क्या है कहना

हालांकि पुलिस अधिकारी कहते थे कि इन सब घटनाओं के पीछे आईएसआई के हैंडलर हैं। ऐसे में 370 हटने के बाद पिछले कुछ समय से कश्मीर में गतिविधियां बढ़ी हैं। एक सेवानिृत्त अधिकारी के मुताबिक, सरकार कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्तियां लौटाने की दिशा में प्रयास कर रही हैं। 

इससे दोबारा घाटी में हिंदुओं के लौटने का खतरा सीमा पार के लोगों को डराने लगा है। वे कभी भी मिश्रित संस्कृति नहीं चाहते हैं। इस वजह से बाहरी लोगों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।

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