खोरी गांव अतिक्रमण : नगर निगम ने न्यायालय से कहा, पुनर्वास नीति को अंतिम रूप दे दिया गया है
By भाषा | Published: August 27, 2021 06:14 PM2021-08-27T18:14:49+5:302021-08-27T18:14:49+5:30
फरीदाबाद नगर निगम ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उन लोगों के लिए पुनर्वास नीति को अंतिम रूप दिया गया है जो खोरी गांव में रह रहे थे। अधिकारियों ने अरावली वन क्षेत्र से सभी अतिक्रमण को हटाने के तहत उस गांव में अवैध निर्माण हटाने के लिए अभियान चलाया है। नगर निगम की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को बताया कि वे पहले ही क्षेत्र में वन भूमि पर नौ या 10 फार्म हाउस और अन्य अनधिकृत निर्माण हटा चुके हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ से कहा कि पुनर्वास के संबंध में राज्य द्वारा पहले दिए गए पहले के बयान "पूरी तरह से गलत’’ थे। उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘हमने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। हम उस क्षेत्र में गए थे, हमने लोगों से बातवीत की और हमें चौंकाने वाली स्थिति मिली है। हमने इसे यहां रिकॉर्ड पर रखा है।’’ जब उन्होंने यह दलील दी कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि पुनर्वास योजना को अधिकारियों द्वारा अधिसूचित किया जाए तो निगम के वकील ने सूचित किया, “नीति को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसकी एक प्रति कल मुझे मिली। मैं इसे रिकॉर्ड पर रखूंगा।" निगम के वकील ने कहा कि वह नीति की प्रति गोंजाल्विस और वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख के साथ साझा करेंगे जो मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति को उनके द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए अंतिम रूप दिया गया है। पीठ ने राज्य के साथ ही निगम से गोंजाल्विस द्वारा दायर आवेदन पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। मामले में अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।पीठ ने कहा कि पुनर्वास योजना के संबंध में सुनवाई की अगली तारीख को विचार किया जा सकता है। पारिख ने अदालत से कहा कि उन्होंने भी घटनास्थल का दौरा किया है और वहां की जमीनी स्थिति 'दयनीय' है।
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