पशु बलि जैसे अस्वास्थ्यकर और हानिकारक प्रथाओं को रोका जाना चाहिए, भले ही इनका पालन धर्म के नाम पर क्यों न किया जा रहा हो, केरल उच्च न्यायालय ने कहा
By भाषा | Published: May 27, 2023 12:12 PM2023-05-27T12:12:39+5:302023-05-27T12:15:24+5:30
न्यायमूर्ति वी अरुण ने कहा कि अस्वास्थ्यकर, अवैज्ञानिक और हानिकारक प्रथाओं को रोका जाना चाहिए, भले ही इनका पालन धर्म के नाम पर क्यों न किया जा रहा हो।

दूसरी मंजिल पर निर्मित मंदिर जैसी संरचना में की जाने वाली गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया।
कोच्चिः केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि इस दलील को खारिज किया जाना चाहिए कि पशु बलि किसी के धार्मिक विश्वास का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है, भले ही इससे दूसरों को परेशानी ही क्यों न हो रही हो।
कोच्चि में एक निजी आवास में कर्मकांड बलि के नाम पर पक्षियों और जानवरों के अवैध वध को रोकने के लिए अधिकारियों की ओर से कार्रवाई नहीं करने को लेकर दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वी अरुण ने कहा कि इस तरह की अस्वास्थ्यकर, अवैज्ञानिक और हानिकारक प्रथाओं को रोका जाना चाहिए, भले ही इनका पालन धर्म के नाम पर क्यों न किया जा रहा हो।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस देश के कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं और धार्मिक आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ कोई विशेष बर्ताव नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने 24 मई को जारी एक आदेश में एर्नाकुलम जिला पंचायत, राजस्व मंडलीय अधिकारी, एर्नाकुलम (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारियों को आनंद पी नामक व्यक्ति द्वारा अपनी आवासीय इमारत की दूसरी मंजिल पर निर्मित मंदिर जैसी संरचना में की जाने वाली गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया।