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केरल सरकार ने मुल्लापेरियार में बेबी बांध में पेड़ों को काटने की अनुमति पर रोक लगायी

By भाषा | Updated: November 7, 2021 20:02 IST

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कोच्चि, सात नवंबर केरल सरकार ने मुल्लापेरियार जलाशय में बेबी बांध के रास्ते में 15 पेड़ों को काटे जाने के लिए वन विभाग द्वारा दी गयी अनुमति पर रविवार को रोक लगा दी तथा उन अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने का फैसला किया जिन्होंने यह आदेश दिया था।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एक दिन पहले ही पेड़ों की कटाई की अनुमति देने को लेकर केरल के अपने समकक्ष पिनराई विजयन को धन्यवाद दिया था।

केरल के वन मंत्री ए के शशिंद्रन ने यहां मीडिया से कहा कि यह आदेश ‘असामान्य’ था तथा प्रधान वन (वन्यजीव) संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन की ओर से गंभीर चूक है जिन्होंने मंजूरी संबंधी आदेश जारी किया था।

शशिंद्रन ने इससे पहले कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय, सिंचाई मंत्री के कार्यालय या उनके कार्यालय की जानकारी के बगैर ही यह आदेश जारी किया था।

स्टालिन ने रविवार को मुल्लापेरियार में बेबी बांध के अनुप्रवाह में 15 पेड़ों को काटे जाने के लिए अनुमति दिये जाने को लेकर विजयन को धन्यवाद दिया था।

उन्होंने कहा था कि जल संसाधन विभाग के उनके अधिकारियों ने उन्हें बताया कि मुल्लापेरियार जलाशय के बेबी बांध के अनुप्रवाह में 15 पेड़ों को काटने की अनुमति केरल के वन विभाग ने दे दी है।

शशिंद्रन ने कहा, ‘‘ मुख्य वन संरक्षक की ओर से गंभीर चूक हुई। उक्त आदेश पर रोक लगा दी गयी है। ऐसा अधिकारियों की चूक के कारण हुआ है । हमने इस संबंध में आगे की कार्रवाई करने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ किसी भी परिस्थिति में ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय नौकरशाही स्तर पर नहीं लिये जा सकते। यह असामान्य आदेश है। हम ऐसे आदेश को जारी किये जाने की जांच करेंगे और जरूरी कार्रवाई करेंगे।’’

स्टालिन ने अपने आभार संदेश में ‘ मुल्लापेरियार बांध को और मजबूत करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने’ तथा केरल में नदी के निचले हिस्से में रह रहे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति तमिलनाडु की कटिबद्धता दोहरायी थी।

लेकिन इसने केरल में विवाद का रूप ले लिया है क्योंकि राज्य में मुल्लापेरियार में नये बांध की मांग की जा रही है, न कि बेबी बांध को मजबूत करने की।

विपक्षी कांग्रेस एवं भाजपा ने इस आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए सरकार पर निशाना साधा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरण ने आरोप लगाया कि यह आदेश मुख्यमंत्री की जानकारी से जारी किया गया और उन्होंने वन मंत्री के इस्तीफे की मांग करने के अलावा मामले की न्यायिक जांच की भी मांग की।

पूर्व मंत्री एवं यूडीएफ विधायक पी जे जोसेफ ने कहा कि विश्वास नहीं होता कि किसी नौकरशाह ने ऐसा आदेश जारी किया। उन्होंने कहा , ‘‘ तब मंत्री को अपने पद पर बने रहने का हक नहीं है । उक्त आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। ’’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने भी इसका विरोध करते कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार की योजना अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने की है।

मुल्लापेरियार बांध पर केरल के साथ गतिरोध के बीच तमिलनाडु के जलसंसाधन मंत्री दुरईमुरुगम ने शुक्रवार को कहा था कि बेबी बांध मंजबूत करने के बाद जलाशय में जलस्तर 152 फुट तक बढ़ाया जाएगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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