Katihar Lok Sabha seat: कटिहारबिहार का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। सीमांचल की अहम लोकसभा सीट पर देश के दूसरे आम चुनाव 1957 के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। कटिहार इससे पहले पूर्णिया जिले का हिस्सा था। कटिहार लोकसभा के उत्तर में किशनगंज लोकसभा, उत्तर-पश्चिम में पूर्णिया लोकसभा, पूर्व में पश्चिम बंगाल का रायगंज लोकसभा, दक्षिण-पश्चिम में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र, दक्षिण में झारखण्ड के राजमहल लोकसभा व दक्षिण-पूर्व में पश्चिम बंगाल का मालदा उत्तर लोकसभा स्थित है। पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित कटिहार लोकसभा सीट की पौराणिकता देखें तो भगवान श्रीकृष्ण का यहां आगमन हुआ था। कटिहार की ऐतिहासिकता देखें तो कुरसेला स्थित त्रिमुहानी संगम में 12 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी का अस्थि कलश विसर्जित किया गया था।
अंग, मगध, मुगल और अंग्रेज शासन में रहने के कारण यहां कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मौजूद हैं। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक स्थान रहा है, माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण यहां आये थे और उन्होंने मनिहारी में मणि को खो दिया था। इस क्षेत्र में अंग और मगध समेत मुगलों और अंग्रेजों ने भी शासन किया। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मौजूद हैं।
ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए यहां के लोगों द्वारा किए गए आंदोलन को कटिहार आंदोलन के नाम से जाना जाता है। 1957 में पहले सांसद कुरसेला स्टेट के राय बहादुर रघुवंश नारायण सिंह के ज्येष्ठ पुत्र अवधेश कुमार सिंह बने थे। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी शफीकुल हक को पराजित किया था।
कटिहार लोकसभा क्षेत्र के लिए अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में 12 बार तारिक अनवर से अन्य का सीधा मुकाबला हुआ और तारिक अनवर 5 बार जीतने में सफल रहे। कटिहार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा सीट कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी शामिल हैं। इसमें से भाजपा के पास 2, कांग्रेस के पास 2 जबकि जदयू और भाकपा-माले के पास एक-एक सीट है।
2019 में चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, कटिहार लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या 16,45,713 थी, जिसमें 8,71,731 पुरुष और 7 लाख 97 हजार महिलाएं थीं। कटिहार लोकसभा सीट पर सबसे पहली बार साल 1957 में चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह चुनाव जीते थे। 1958 में ही इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के बी. विश्वास जीते।
साल 1962 में यह सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के खाते में गई और प्रिया गुप्ता चुनाव जीतने में कामयाब रही। 1967 में एक बार फिर से यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और सीताराम केसरी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। जबकि 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी को जीत मिली। 1980 में कांग्रेस की टिकट पर तारिक अनवर जीत दर्ज करके पहली बार लोकसभा पहुंचे थे।
1989 और 1991 में जनता दल के प्रत्याशी ने उनको मात दी। लेकिन 1996 में उन्होंने फिर से कब्जा कर लिया और 1998 में भी वही जीते थे। 25 मई 1999 को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर एनसीपी ज्वाइन कर ली और 1999 में चुनाव हार गए। 1999 में इस सीट पर पहली बार कमल खिला। भाजपा के निखिल चौधरी ने लगातार तीन बार तारिक अनवर को मात दी।
हालांकि 2014 की मोदी लहर में वह इस सीट को बचा नहीं सके। 2014 में जब पूरे देश में भाजपा की लहर चली तो इस सीट पर एनसीपी की टिकट पर तारिक अनवर ने जीत हासिल की। 28 सितंबर 2018 को तारिक ने एनसीपी और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और 19 साल बाद कांग्रेस में वापसी कर ली। 2019 में कटिहार लोकसभा क्षेत्र से जनता दल (यूनाइटेड) के दुलार चंद गोस्वामी ने पिछले बार के विजयी उम्मीदवार तारिक अनवर को 57203 वोटों से हरा दिया।
कांग्रेस के तारिक अनवर को 502220 वोट मिले, जबकि एनसीपी के मोहम्मद शकुर को 9248 वोट मिले। अब जबकि लोकसभा चुनाव करीब है तो एक बार फिर उम्मीदवारों के चयन को लेकर माथापच्ची जारी है और सभी की निगाहें संभावित उम्मीदवारों पर टिकी हुई हैं।