कोझिकोडः जाने माने कथकली नर्तक गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर का सोमवार को तड़के कोइलांडी के चेलिया में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 105 वर्ष के थे।
नायर को कथकली नृत्य विधा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए 2017 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जब वह भगवान कृष्ण और कुचेला का मंच पर चित्रण करते थे, तो दर्शक उनकी बेहतरीन प्रस्तुति देखकर मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। उन्होंने 100 साल की आयु में आखिरी बार सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी।
नायर ने गुरु करुणाकरण मेनन की कथकली नृत्य मंडली में शामिल होने के लिए 14 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। नायर के लिए आयु कभी कथकली करने में बाधक नहीं बनी और उन्होंने करीब नौ दशक तक नृत्य किया। उन्हें कथकली की ‘कल्लाडिकोडन’ शैली में महारथ हासिल थी।
उन्होंने वर्षों के अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद भारतीय नाट्यकलालयम की 1945 में स्थापना की, जो उत्तर केरल में स्थापित किया गया नृत्य का पहला स्कूल है। इसके बाद उन्होंने यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर अपने मूल गांव में चेलिया कथकली विद्यालयम समेत कई नृत्य स्कूलों की स्थापना की।
नायर को केरल संगीत नाट्य अकादमी और केरल कलामंडलम समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। चाडयनकांडी चातुकुट्टी नायर और किनात्तिनकरा कुन्हमनकुट्टी अम्मा के घर 16 जून, 1916 को जन्मे नायर ने 1930 में कीझपायुर कुनियिल परादेवता मंदिर में अपनी पहली प्रस्तुति दी थी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
नरेंद्र मोदी ने कथकली गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर के निधन पर शोक प्रकट किया
जाने माने कथकली नर्तक गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर के निधन पर शोक प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिकता के प्रति उनका अनुराग अप्रतिम था और उन्होंने शास्त्रीय नृत्यों में उभरती मेधा को निखारने में असामान्य प्रयास किए।
प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘‘ नर्तक गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिकता के प्रति उनका अनुराग अप्रतिम था और उन्होंने शास्त्रीय नृत्यों में उभरती मेधा को निखारने में अथक प्रयास किए। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।’’