कश्मीर आने वाले कश्मीरी पंडितों को अब भी ‘पर्यटकों’ की सूची में जोड़ा जा रहा है, 33 सालों में जारी है सिलसिला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 4, 2023 14:37 IST2023-08-04T14:35:59+5:302023-08-04T14:37:26+5:30

कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में पिछले कुछ सालों से प्रदेश प्रशासन अमरनाथ श्रद्धालुओं को भी लपेटता रहा है तो कुछ खास त्यौहारों पर कश्मीर आए कश्मीरी पंडितों और विभिन्न सुरक्षाबलों द्वारा वादी की सैर पर भिजवाए गए उनके बच्चों की संख्या का रिकार्ड बतौर पर्यटक ही रखा जा रहा है।

Kashmiri Pandits coming to Kashmir are still being added to the list of 'tourists' | कश्मीर आने वाले कश्मीरी पंडितों को अब भी ‘पर्यटकों’ की सूची में जोड़ा जा रहा है, 33 सालों में जारी है सिलसिला

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsत्यौहारों को मनाने वाले कश्मीरी पंडित कश्मीर में पर्यटक बन कर आ रहे हैंकेंद्र व प्रदेश सरकार भी अब कश्मीरी पंडितों को कश्मीर के लिए ‘पर्यटक’ ही मानती है कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या में कश्मीरी पंडितों की संख्या को भी जोड़ा जा रहा है

श्रीनगर:  कश्मीर में बहने वाली वितस्ता अर्थात झेलम नदी का जन्म दिन, क्षीर भवानी में मत्था टेक और दशहरा मना कर कश्मीरी पंडित अपने दिलों में रूके पड़े सैलाब को तो बाहर निकाल रहे हैं पर ये सब वे अपनी जन्मभूमि में वहां के वाशिंदे बन कर नहीं बल्कि ‘पर्यटक’ बन कर ही कर पा रहे हैं। यह कड़वा सच है कि इन रस्मों और त्यौहारों को मनाने वाले कश्मीरी पंडित कश्मीर में पर्यटक बन कर ही आ रहे हैं।

यूं तो उनकी इन रस्मों और त्यौहारों को कामयाब बनाने में केंद्र व प्रदेश सरकार की अहम भूमिका रहती है पर वह भी अब कश्मीरी पंडितों को कश्मीर के लिए ‘पर्यटक’ ही मानती है। अगर ऐसा न होता तो कश्मीरी बच्चों को वादी की सैर पर भिजवाने का कार्य सेना क्यों करती और कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या में कश्मीरी पंडितों की संख्या को भी क्यों जोड़ा जाता।

यह हकीकत है। कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में पिछले कुछ सालों से प्रदेश प्रशासन अमरनाथ श्रद्धालुओं को भी लपेटता रहा है तो कुछ खास त्यौहारों पर कश्मीर आए कश्मीरी पंडितों और विभिन्न सुरक्षाबलों द्वारा वादी की सैर पर भिजवाए गए उनके बच्चों की संख्या का रिकार्ड बतौर पर्यटक ही रखा जा रहा  है। यही नहीं अब तो उस संख्या में माता वैष्णो देवी के तीर्थस्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी जोड़ा जा रहा है जो विश्व समुदाय को कश्मीर में लौटती शांति के तौर पर बताई जा रही है।

इससे कश्मीरी पंडित नाराज भी नहीं हैं। दरअसल वे अपने पलायन के इन 33 सालों के अरसे में जितनी बार कश्मीर गए 3 से 4 दिनों तक ही वहां टिके रहे। कारण जो भी रहे हों वे कश्मीर के वाशिंदे इसलिए भी नहीं गिने गए क्योंकि कश्मीर के प्रवास के दौरान या तो वे होटलों में रहे या फिर अपने कुछ मुस्लिम मित्रों के संग। यह कश्मीरी पंडितों के साथ भयानक त्रासदी के तौर पर लिया जा रहा है कि वे कश्मीर के नागरिक तथा कश्मीरियत के अभिन्न अंग होते हुए भी फिलहाल कश्मीर तथा वहां की सरकार के लिए मात्र पर्यटक भर से अधिक नहीं हैं।

वैसे सरकारी तौर पर उन्हें कश्मीर में लौटाने के प्रयास जारी हैं। 33 सालों में 1200 के लगभग कश्मीरी पंडितों के परिवार कथित तौर पर कश्मीर वापस लौटे भी। पर उनकी दशा देख कश्मीरी पंडितों को उससे अच्छा विस्थापित जीवन ही लग रहा है। ऐसे में सरकार और कश्मीरी पंडितों की त्रासदी यही कही जा सकती है कि वे अपने ही घर में विस्थापित तो हैं ही, अब पर्यटक बन कर भी भी घूमने को मजबूर हुए हैं। और जो 800 परिवार सरकारी फ्लैटों में रह रहे हैं वे सरकारी नौकरी के बदले में मिलने वाली सुविधाओं के लिए मजबूरी में कश्मीर में ‘टिके’ हुए हैं।

Web Title: Kashmiri Pandits coming to Kashmir are still being added to the list of 'tourists'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे