कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, "पति द्वारा सेक्स के लिए मना करना क्रूरता है लेकिन..."

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 21, 2023 08:13 AM2023-06-21T08:13:48+5:302023-06-21T08:23:22+5:30

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना या उसके लिए मना करना क्रूरता की श्रेणी में आता है लेकिन यह अपराध आईपीसी के तहत नहीं आता है।

Karnataka High Court said, "Rejection of sex by husband is cruelty but..." | कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, "पति द्वारा सेक्स के लिए मना करना क्रूरता है लेकिन..."

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, "पति द्वारा सेक्स के लिए मना करना क्रूरता है लेकिन..."

Highlightsकर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना क्रूरतालेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि पति का ऐसा कृत्य भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं हैशादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाना हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच चल रहे एक विवाद की सुनवाई करते हुए कहा कि शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना या उसके लिए मना करना क्रूरता की श्रेणी में आता है लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने इस मुद्दे की व्याख्या करते हुए यह भी कहा कि लेकिन पति द्वारा किया गया अपराध भारतीय दंड संहिता के दायरे में नहीं आता है।

हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को एक व्यक्ति की पत्नी द्वारा उसके और उसके माता-पिता के खिलाफ इस विषय को लेकर दायर किये गये आपराधिक मामले को खारिज करते हुए कहा कि यदि पुरुष विवाह के पश्चात अपनी पत्नी के दैहित संबंध नहीं बनाता है या शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो निश्चित ही वह क्ररता भरा अपराध कर रहा है लेकिन शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाना भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

कोर्ट ने मामले में स्पष्ट करते हुए कहा कि इसे भारतीय दंड संहिता के तहत नहीं बल्कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपराध या क्रूरता माना जा सकता है और उसके तहत इस विषय में कोई सुनवाई हो सकती है। इसलिए महिला ने जिस भारतीय दंड संहिता की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 का उल्लेख करते हुए अपने पति को यौन संबंध न बनाने के लिए आरोपी बताया है, वो गलत है और इस केस को खिरिज किया जाता है।

जानकारी के अनुसार आरोपी व्यक्ति की पत्नी ने हाईकोर्ट से पति द्वारा विवाह के बाद यौन संबंध स्थापित किये जाने से इनकार करने को मुद्दा बनाते हुए और उसे क्रूरतम अपराध बताते हुए साल 2020 में आईपीसी की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 के तहत केस दर्ज किया था।

खबरों के अनुसार इस जोड़े ने दिसंबर 2019 में शादी की थी और पति-पत्नी दोनों महज 28 दिनों तक साथ रहे थे। उसके बाद पत्नी की ओर से फरवरी 2020 में पति के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया गया था। जिसमें उसके साथ उसके माता-पिता को भी आरोपी बनाया गया था।

पत्नी ने अदालत में जो शिकायत पत्र दायर किया था, उसमें उसका मुख्य आरोप था कि उसका पति एक ब्रह्माकुमारी भक्त के बताये रास्ते पर चल रहा था और वो उसके प्रवचनों से प्रभावित होकर उसके साथ ऐसा सलूक कर रहा था। शिकायतकर्ता पत्नी के मुताबिक उसका पति लगातार ब्रह्माकुमारी बहनो के वीडियो देखता था और कथिततौर पर उनके प्रभाव में अपने दांपत्य जीवन का निर्वहन करने से पीछे हट रहा था।

Web Title: Karnataka High Court said, "Rejection of sex by husband is cruelty but..."

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