चुनाव स्पेशल: 30 सालों का इतिहास है गवाह, कर्नाटक हार सकती है कांग्रेस
By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 8, 2018 02:40 PM2018-05-08T14:40:12+5:302018-05-08T15:49:52+5:30
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के इतिहास पन्ने दुहाई दे रहे हैं, ऐसा कभी नहीं जब कर्नाटक की जनता ने अपनी इस प्रथा को तोड़ा है। क्या इस बार तोड़ेगी?
बेंगलुरु, 8 मईः कर्नाटक विधानसभा चुनावों के 30 सालों के इतिहास में सत्ता का दोहराव कभी नहीं हुआ। कर्नाटक की जनता हर पांच साल बाद सत्ता परिर्वतन कर देती है। कर्नाटक के मतदाता बीते 30 सालों से हर बार विपक्ष के पक्ष में जनादेश देते आए हैं। इस दौरान बस एक मर्तबे साल 2004 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में यह रीति टूटी। लेकिन महज 1 साल 245 में फिर से कांग्रेस की सरकार गिर गई और अपनी उसी रिवाज पर वापस लौट गई, जिसके तहत यह कहा जाता है कि कर्नाटक की कुर्सी कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं मिलती।
विधानसभा चुनाव | सीटें | वोट फीसदी |
2013 | 122 | 36.6 |
2008 | 80 | 34.8 |
2004 | 65 | 35.3 |
1999 | 132 | 40.8 |
1994 | 34 | 27 |
1989 | 178 | 43.8 |
1985 | 65 | 40.8 |
1983 | 82 | 40.4 |
इस लिहाज से बीते 8 विधानसभा चुनावों परिणामों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर नजर डालें तो पाएंगे कि जब-जब कांग्रेस ने बहुमत वाली सरकार बनाई है। उसके आगामी विधानसभा में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक में बीते 30 सालों में कांग्रेस ने तीन बाद बहुमत वाली सरकार बनाई है। साल 1999 कर्नाटक विधानसभा चुनाव और कांग्रेस ने 132 सीटें जीतकर बहुमत वाली सरकार बनाई। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव 2004 में वह 65 सीटों पर सिमट गई।
उससे पहले जब कांग्रेस ने साल 1989 में कांग्रेस ने 178 सीटों वाली प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई थी तो आगामी विधानसभा 1994 में उसे महज 34 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। अब आखिरी विधानसभा चुनाव 2013 में भी कांग्रेस ने 122 सीटों वाली बहुमत की सरकार बनाई थी। आगामी विधानसभा चुनाव 2018, 12 मई को होने वाले हैं। अगर कांग्रेस मिथ को तोड़ती है तो वह इतिहास बदल देगी।
बीजेपी की यह ताकत भी कांग्रेस के लिए है घातक
साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बनिस्पद 2018 के चुनाव में बीजेपी स्वतः 10 सीटें मजबूत हो गई है। इसका कारण है बीते चुनावों बीजेपी का बुरी तरह से बिखर जाना।
पार्टी | कितनी सीटों पर लड़े | सीटें | वोट फीसदी |
बीजपी | 223 | 40 | 19.89 |
केजेपी | 204 | 6 | 9.79 |
बीएसआर कांग्रेस | 176 | 4 | 2.69 |
कुल | 603 | 50 | 32.37 |
इस बार यह ताकत एकजुट है। जबकि कांग्रेस वही है जो 2013 में मैदान में थी। लेकिन बीजेपी ने इस बार बीएस येदियुरप्पा को सिरमौर बना लिया है। इससे बिन कहे बीजेपी में करीब 10 फीसदी वोटों छह सीटों का इजाफा हो जाएगा। क्योंकि इस बार येदियुरप्पा की पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष (केजीपी) बीजेपी में सम्मिलित हो गई है।
दूसरी ओर कनार्टक में खासा प्रभाव रखने वाले बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं की वापसी हो गई है। उनके साथ उनके करीबी बी. श्रीरामुलू भी बीजेपी वापस लौट आए हैं, जिन्होंने बीते चुनाव में बीएसआर कांग्रेस पार्टी बनाकर 4 सीटें अपनी झोली में डाली थीं। और वे बादामी से सिद्धारैमया के खिलाफ मैदान में कूदे हैं। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: ना बीजेपी, ना कांग्रेस, जेडीएस बनाएगी कर्नाटक में सरकार और ये होंगे मुख्यमंत्री!)
इस बिखराव के बाद गठजोड़ ने साल 2014 में लोकसभा चुनावों में ही अपनी ताकत दिखा दी थी। तब बीजेपी को कर्नाटक में 43.37 फीसदी वोट मिले थे और बीजेपी कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में 17 जीतने में कामयाब रही थी।
विधानसभा चुनाव | सीटें | वोट फीसदी |
2013 | 40 | 19.9 |
2008 | 110 | 33.9 |
2004 | 79 | 28.3 |
1999 | 44 | 20.7 |
1994 | 40 | 17 |
1989 | 04 | 4.1 |
1985 | 02 | 3.9 |
1983 | 18 | 7.9 |
बीजेपी कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के उदय के बाद करवट ली। लेकिन उनको बाहर करते ही फिर से बीजेपी सिमट गई। लेकिन इस बार चुनावों में बीजेपी ने मोदी-योगी और येदियुरप्पा-रेड्डी बंधु-श्रीरामलू सबको मैदान में उतार दिया है।
विधानसभा चुनाव | सीटें | वोट फीसदी |
2013 | 40 | 20.2 |
2008 | 28 | 19 |
2004 | 58 | 20.8 |
1999 | 10 | 10.4 |
जेडीएस आज भी कर्नाटक में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी की भूमिका में ही है। इस बार मायावती की बहुजन समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिश-ए-इम्तेहादुल मुसलमीन पार्टी से गठजोड़ कर के चर्चा में है।