कर्नाटक चुनाव: जब बेल्लारी में टकराई थीं सोनिया-सुषमा, नोकझोंक में बहू-बेटी तक आ गई थी बात

By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 7, 2018 07:15 AM2018-05-07T07:15:08+5:302018-05-07T07:15:08+5:30

सुषमा स्वराज ने कहा था अगर सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं तो मैं अपना सिर गंजा करा कर सफेद साड़ी धारण कर लूंगी।

Karnataka Election 2018: bellary Sushma Swaraj vs Sonia Gandhi 20 Year Old Rivalry | कर्नाटक चुनाव: जब बेल्लारी में टकराई थीं सोनिया-सुषमा, नोकझोंक में बहू-बेटी तक आ गई थी बात

कर्नाटक चुनाव: जब बेल्लारी में टकराई थीं सोनिया-सुषमा, नोकझोंक में बहू-बेटी तक आ गई थी बात

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में कर्नाटक का बेल्लारी जिला सबसे संवेदनशील हो गया है। चुनाव आयोग ने कहा कि यहां की सीटें आर्थिक रूप से बेहद संवदेनशील हैं। इसकी निगरानी खास तौर पर की जा रही है। इस जिले की भूमिका को जिले में निर्णायक बताया जा रहा है, क्योंकि कर्नाटक चुनाव में खर्च हो रहे धन की त‌िजोरी इसी जिले में बंद है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से रेड्डी बंधु को मैदान में उतारा है, जो अर्से से पार्टी से बाहर थे। प्रतिद्वंदी इसे बीजेपी की मजबूरी बता रहे हैं तो बीजेपी इसे मास्टर स्ट्रोक बता रही है। क्योंकि क्षेत्र में रेड्डी बंधुओं धाक है। लेकिन चुनावी दृष्टि से देखें तो साल 1952 से बेल्लारी कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां की सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज की जंग बेहद चर्चित रही है।

बेल्लारी में सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज की जंग

कांग्रेस की नाव डगमगा रही थी। सोनिया गांधी कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। लेकिन पति राजीव गांधी की मौत के बाद उन्हें विवश होकर राजनीति में आना पड़ा। वह साल 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं और साल 1999 में लोकसभा चुनाव आ गए। सोनिया करीब-करीब राजनीति में अनाड़ी थीं। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीटें रायबरेली और कर्नाटक की बेल्लारी सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की। इसके बाद बीजेपी की ओर से उनकी तेज-तर्रार नेता सुषमा स्वराज ने सोनिया को बेल्लारी से चुनौती देने की घोषणा कर दी।

1 महीने में सुषमा ने सीख ली थी कन्नड़

विदेशी सोनिया गांधी से टक्कर लेने के लिए और अपने देशी होने के प्रभाव को और बढ़ाने के लिए और खुद को स्‍थानीय बताने के लिए सुषमा स्वराज ने महज 30 दिनों के भीतर कन्नड़ सीख डाली थी। उन्होंने अपनी कई जनसभाओं को कन्नड़ में संबोधित किया।

सोनिया की दुखती रग पर सुषमा ने रखा था हाथ, विदेशी बहू बनाम देसी बेटी

यही पहला मौका था जब सोनिया गांधी को किसी ने खुलआम विदेशी महिला कहकर पुकारा था। सोनिया गांधी इटली की जन्मी व वहीं पली-बढ़ी थीं। उन्होंने राजीव गांधी से शादी कर के भारत की नागरिकता हासिल की थी। उनके बेटे राहुल गांधी और प्र‌ियंका गांधी हैं। लेकिन जब वे बेल्लारी से चुनाव मैदान में कूदी तो सुषमा स्वराज ने उन्हें विदेशी महिला कहा। (जरूर पढ़ेंः PM मोदी की मुस्लिम फैन ने बनाई पार्टी, 224 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव, सलमान खान के दोनों भाई करते हैं प्रचार)

बताया जाता है कि तब सुषमा स्वराज घर-घर जाकर सोनिया गांधी को विदेशी म‌हिला और खुद को देसी बेटी कहकर प्रचारित किया था। उन्होंने नारा दिया था विदेशी बहू या देसी बेटी। सोनिया गांधी को उनके बेल्लारी के पहले ही चुनाव में जबर्दस्त संघर्ष पड़ना था। सुषमा स्वराज ने उनके कठिन माहौल पैदा कर दिया था। यहां से सोनिया की राजनीति शुरू होने जा रही थी। अगर सुषमा तब वहां जीत गई होतीं तो सोनिया का कांग्रेस अध्यक्ष और भारतीय राजनेता का कॅरियर हाशिए पर चला गया होता।

बेल्लारी में सोनिया ने सुषमा को 56,000 वोटों से हराया था

साल 1999 में सोनिया गांधी बेल्लारी जीत गई थीं। हालांक‌ि कांग्रेस का गढ़ होने के बाद भी सोनिया गांधी को सुषमा पर जीत महज 56,000 वोटों से मिली थी। तब सुषमा स्वराज ने कहा था भले वह चुनाव जीत गईं पर मेरा संघर्ष जाया नहीं होगा। यह बात तब सच साबित हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सुषमा को पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री और बाद में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।  (जरूर पढ़ेंः कर्नाटकः सुब्रमण्यम स्वामी का प्रकाश राज को खुला चैलेंज- मुझ पर मुकदमा कर के देख, तुझे सबक सिखा दूंगा)

तब सोनिया गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं। लेकिन पाशा पलटा ओर साल 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने जीत दर्ज की और सोनिया के नेतृत्व में सरकार बनाई। इसी दौरान सुषमा स्वराज ने एक बयान दिया- यदि सोनिया गांधी देश का प्रधानमंत्री बनती हैं तो मैं अपना सिर गंजा करवा सफेद साड़ी पहनेंगी और सूखे चने खाऊंगी। हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन ‌सिंह बने। इसलिए ऐसी नौबत नहीं आई।

सैकड़ों देशवासियों की कुर्बानी के बाद हमारा देश ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था। क्या हमारे देश में ऐसा कोई नहीं है कि वह पीएम की जिम्मेदारी संभाल सके? क्या हम किसी विदेशी को फिर से सत्ता सौंप दें? मैं सोनिया गांधी को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने लोगों की भावना का सम्मान किया।- सुषमा स्वराज

यह तनाव आज भी बेल्लारी में देखने को मिलता है। आज भी सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज के उस महायुद्ध को बेल्लारी की जनता याद करती है। कुछ हालिया चुनावी सभा में कार्यकर्ताओं ने इस महायुद्ध का जिक्र भी किया।

कांग्रेस के लिए विघ्नहर्ता रहा है कांग्रेस

असल में कांग्रेस के लिए कर्नाटक का अजब इतिहास है। जब-जब कांग्रेस पर कठिन घ‌ड़ियों के काले बादल मंडराए हैं, कर्नाटक उनके लिए विघ्नहर्ता के तौर उभरा। उनमें एक घटना के बारे में सोनिया गांधी ने हालिया कांग्रेस अधिवेशन में जिक्र किया।

चालीस वर्ष पहले चिकमंगलूर में इंदिरा जी की शानदार जीत ने देश की राजनीति को  पलटकर  (सोशल मीडिया में इसेबलात्कार बताया जा रहा है) रख दिया। और कांग्रेस एक बार फिर शक्तिशाली पार्टी बनकर उभरी। मुझे पूरा विश्वास है कि अगले कुछ महीनों में कनार्टक के विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी का एक बार फिर... (प्रांगण तालियों, सीट‌ियों से गूंज उठा)- कांग्रेस के 84वें अधिवेशन के हिन्दी भाषण में सोनिया गांधी

वह ठीक 40 वर्ष पहले के कांग्रेस के पुनर्दोय को बता रही थीं, जिस वक्त पूरे देश में कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी। सन 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस को जबर्दस्त हार मिली थी। आपातकाल के ठीक बाद हुई इस चुनाव में इंदिरा अपनी पेटेंट सीट रायबरेली से भी हार गई थीं। इसके बाद साल 1978 में कनार्टक में हुए उपचुनावों में इंदिरा गांधी को चिकमंगलूर में जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 1980 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री बनकर उभरीं।

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