कर्नाटक: पूर्व CM येदियुरप्पा और कानून मंत्री ने विभाजनकारी राजनीति खत्म करने का आह्वान किया, CM बोम्मई ने कहा- सभी बराबर
By विशाल कुमार | Published: April 12, 2022 08:59 AM2022-04-12T08:59:11+5:302022-04-12T09:03:01+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि कानून-व्यवस्था की रक्षा की जाएगी। मैं उन्हें (मुख्यमंत्री को) सलाह दूंगा कि वह इस सब (विभाजनकारी राजनीति) को खत्म करें और काम पर ध्यान दें। सभी समुदायों को शांति और सम्मान से रहना चाहिए।
बेंगलुरु:कर्नाटक में मुस्लिम व्यापारियों पर हमले की घटनाओं और दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों द्वारा उनके बहिष्कार के आह्वान के बाद, भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और वरिष्ठ मंत्री जेसी मधुस्वामी ने विभाजनकारी राजनीति को खत्म करने की मांग की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि कानून-व्यवस्था की रक्षा की जाएगी। मैं उन्हें (मुख्यमंत्री को) सलाह दूंगा कि वह इस सब (विभाजनकारी राजनीति) को खत्म करें और काम पर ध्यान दें। सभी समुदायों को शांति और सम्मान से रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता ने कहा कि हिंदू और मुसलमान शांति और भाईचारे के साथ रहना चाहेंगे लेकिन कुछ उपद्रवी विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विपक्षी कांग्रेस को राज्य में विकास लाने के लिए सरकार का सहयोग करना चाहिए। के सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार जैसे कांग्रेस नेताओं को छोटे मुद्दों पर भ्रम नहीं पैदा करना चाहिए।
वहीं, भाजपा सरकार में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने रविवार को कहा था कि लोगों की आजीविका को बाधित करने के लिए जानबूझकर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद भारत में रहने वाले सभी भारतीय हैं। फिलहाल इस पर विवाद खड़ा करने का कोई मतलब नहीं है।
कानून मंत्री ने कहा कि जो भी हो, हमें सहिष्णु होना होगा और साथ रहना होगा… सरकार को (शांति भंग करने वालों के खिलाफ) कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने संकेत दिया कि राज्य सरकार हाल ही में सामने आए सांप्रदायिक मुद्दों के लिए तैयार नहीं थी।
हालांकि, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सभी लोग समान हैं और कानून व्यवस्था राज्य सरकार के लिए प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा काम बोल रहा है। हम जानते हैं कि क्या निर्णय लेने चाहिए और किस समय क्या कार्रवाई करनी चाहिए। मुझे उनसे कोई सबक सीखने की जरूरत नहीं है। ये वे लोग हैं जिन्होंने सीधे हत्या के आरोपों का सामना कर रहे लोगों के खिलाफ सरकारी स्तर पर मामले गिराए। तब उनकी कर्तव्य चेतना कहाँ थी?