डिटेंशन सेंटर को लेकर देश में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के बयान के बाद तरह-तरह के विवाद उठ रहे हैं। इसी बीच कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री, गोविंद करजोल ने कहा कि इसका नाम फॉरेनर डिटेंशन सेंटर है। यह अवैध प्रवासियों के लिए है, उन्हें हिरासत में लेने के बाद डिपोर्ट करने तक रखने की जिम्मेदारी गृह विभाग की होती है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 30 अवैध अप्रवासी थे, हमने उनके भोजन और आश्रय की व्यवस्था की है। हमारे सरकार ने उनके लिए इमारत बनाई है, इसलिए ताकि उनको रखने के लिए अच्छा बुनियादी ढांचा उप्लब्ध हो।
बता दें कि अमित शाह ने एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि एनआरसी व सीएए को ध्यान में रखकर कोई डिटेंशन सेंटर देश में नहीं बनाए गए हैं। इसके बाद एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विदेश से यदि कोई अवैध तरीके से भारत आता है तो उसकी गिरफ्तारी के बाद रखने के लिए एक जगह की जरूरत होती है। अवैध अप्रवासी को पहले वहां रखा जाता है और बाद में उसे कानूनी प्रक्रिया पूरा करने के बाद संबंधित देश से बात कर डिपोर्ट कर दिया जाता है। अमित शाह ने कहा कि असम में ऐसा ही एक सेंटर काफी पहले से है।
इसके अलावा, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भी कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। देश में बस एक ही डिटेंशन सेंटर असम में है।' हालांकि, शाह ने कहा कि वह इसपर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कोई डिटेंशन सेंटर फंक्शनल नहीं है और न मोदी सरकार के बाद कोई डिटेंशन सेंटर बना है।