कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर फिर भड़की आग, मंत्री जी परमेशवर ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता हूं?"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 14, 2023 07:57 IST2023-06-14T07:46:34+5:302023-06-14T07:57:57+5:30
कर्नाटक के गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता जी परमेश्वरन ने खुद को मुख्यमंत्री नहीं बनाये जाने की पीड़ा को एक बार फिर उजागर करके कांग्रेस को सांसत में डाल दिया है।

कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर फिर भड़की आग, मंत्री जी परमेशवर ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता हूं?"
बेंगलुरु:कांग्रेस पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी भाजपा को हराकर सूबे पर अपने शासन को काबिज किया था लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर 'एक अनार और सौ बीमार' वाली कहावत तर-ओ-ताजा हो गई थी क्योंकि मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सहित कई नेताओं द्वारा पेश की गई दावेदारी से पार्टी के पसीने छूट गये थे।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने गृह प्रदेश में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच छीड़ी रार को किसी तरह से शांत किया और डीके शिवकुमार को मनाते हुए सिद्धारमैया के हाथों में एक बार फिर सूबे का नेतृत्व सौंप दिया लेकिन कांग्रेस में केवल सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार ही नहीं थे, जिनमें मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा थी।
प्रदेश कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता, जो कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की तरह दलित समुदाय से आते हैं। वो भी खुद को सीएम बनाये जाने के लिए लामबंदी कर रहे थे, लेकिन उन्हें लामबंदी का कोई विशेष फायदा नहीं मिला और सीएम पद की लड़ाई सीधे-सीधे सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच ही बनी रही परन्तु ताजा प्रकरण में उस नेता ने एक बार फिर सीएम बनने की चाहत को सार्वजनिक करके अपना दुख बयां किया है और पार्टी को कहीं न कहीं परेशानी में डाल दिया है। जी हां, वो हैं मौजूदा कर्नाटक सरकार के गृह मंत्री जी परमेश्वरन।
मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को सीएम न बनने की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सहित कांग्रेस पार्टी में कई ऐसे दलित नेता हैं, जो मौजूदा दौर और अतीत में मुख्यमंत्री बनने की सभी क्षमता रखने के बावजूद सीएम बनने के अवसर से वंचित हो गये। उन्होंने कांग्रेस के कर्नाटक में जीत के लिए दलित समुदाय के विशेष महत्व पर बल देते हुए उन्हें एकजुट रहने का आह्वान किया। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का श्रेय उन्हें न दिए जाने का दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में सत्ता में आने के बावजूद पार्टी ने सारे दावे को दरकिनार कर दिया लेकिन अब ऐसा नहीं है।
मंत्री जी परमेश्वरन ने कहा, "हम दलितों के बीच की हीन भावना को खत्म करना पड़ेगा। यही कारण है कि मैं खुले तौर पर कहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा। मैं मुक्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता हूं? दलित नेता केएच मुनियप्पा भी मंत्री बनें हैं, उन्हें क्यों नहीं मुख्यमंत्री बनना चाहिए? क्या मुनियप्पा या परमेश्वर या मंत्री महादेवप्पा या पिछले अनुभवी दलित नेताओं जैसे बसवलिंगप्पा या एन रचैया या रंगनाथ की क्षमता में कोई कमी थी?"
राजधानी बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम को बोलते हुए उन्होंने कहा, ''हमें अवसरों से वंचित रखा गया है।'' इस कथन के साथ उन्होंने दलितों से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने और अपने वोट का सही इस्तेमाल करने का आह्वान करते हुए उन्हें संविधान के महत्व की याद दिलाई। परमेश्वर ने पूर्व में खुले तौर पर अपनी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा व्यक्त की थी।
परमेश्वर ने कहा कि साल 2013 में कांग्रेस पार्टी पूरे नौ साल बाद कर्नाटक की सत्ता में आई थी, उस समय वो खुद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी सत्ता में आई थी लेकिन किसी ने पार्टी के जीत का श्रेय उन्हें नहीं दिया। उन्होंने सिद्धारमैया या शिवकुमार का नाम लिए बिना कहा, "किसी ने इसके बारे में बात नहीं की। मैंने भी इसके बारे में नहीं बोला। लेकिन इसके उलट आज लोग जीत के लिए खुद को श्रेय देने के लिए प्रचार करते हैं, हो-हल्ला करते हैं।
इसके साथ ही कर्नाटक के गृहमंत्री परमेश्वर ने इस बात का भी दावा किया कि 2018 में कांग्रेस की हार के पीछे मुख्य वजह कुछ समुदायों की उपेक्षा करना भी था। हालांकि उन्होंने किसी समुदाय विशेष का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा निश्चित तौर पर दलित समुदाय को ओर था।