कर्नाटक के नतीजे होंगे मोदी सरकार के 48 महीने के कामकाज का रिपोर्टकार्ड, बिछ जाएगी 2019 की बिसात
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 15, 2018 07:06 AM2018-05-15T07:06:04+5:302018-05-22T16:21:22+5:30
कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटों में से 222 के लिए 12 मई को मतदान हुआ। नतीजे आज (15 मई) को आएंगे। राज्य में बहुमत पाने के लिए किसी भी दल को 113 सीटें जीतनी होंगी।
कर्नाटक की 222 विधान सभा सीटों का नतीजा आते ही लोक सभा 2019 की चुनावी बिसात की जमीन तैयार हो जाएगी। ये चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब मोदी सरकार अपने चार साल पूरे करने जा रही है। चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने जनता से कांग्रेस के 60 साल के बदले बीजेपी को 60 महीने देने की अपील की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के नतीजे आते ही बीजेपी कांग्रेस के 48 साल बनाम बीजेपी के 48 महीने का रिपोर्टकार्ड पेश करेगी। अगर बीजेपी कर्नाटक जीत जाती है तो ये भी तय हो जाएगा कि अगले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट होना पड़ेगा।
विपक्षी दल हाल ही में दो मौकों पर विपक्षी एका दिखाकर जीत का स्वाद चख चुके हैं। बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस, राजद और जदयू के महागठबंधन ने बीजेपी को आसानी से हरा दिया था। बाद में भले ही जदयू बीजेपी के साथ वापस चली गयी लेकिन इतना तो तय हो गया कि सही समीकरण हों तो मोदी और शाह को हराया जा सकता। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर सीट की संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने हाथ मिलकार बीजेपी को चित्त कर दिया। गोरखपुर सीट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपूर राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई थीं। इन दोनों वीआईपी सीटों पर हार से बीजेपी की काफी किरकिरी हुई।
कर्नाटक चुनाव के बाद और लोक सभा चुनाव से पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक की जीत से बीजेपी इन दोनों राज्यों के विधान सभा चुनाव में भी दोगुने उत्साह से उतरेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पिछले लोक सभा चुनाव से पहले से कांग्रेस-मुक्त भारत का नारा दिया था। चुनाव जीतने के बाद पिछले एक साल में पीएम मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी कह चुके हैं कि कांग्रेस-मुक्त भारत का वैसा मतलब नहीं है जैसा आम तौर पर निकालते हैं। हालाँकि कर्नाटक चुनाव में एक बार फिर पीएम मोदी और अमित शाह कर्नाटक को कांग्रेस-मुक्त कराने की मंशा जाहिर करते नजर आए। राष्ट्रीय राजनीति में किसी भी अन्य राजनीतिक दल की ऐसी स्थिति नहीं है कि जिस पर तीसरे विकल्प के रूप में विचार करे। बीजेपी खुद भी शायद कांग्रेस को सामने रखकर ही चुनाव लड़ना चाहती है। लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ बीजेपी नेता अतीत में राष्ट्रीय राजनीति में दो दलीय प्रणाली का समर्थन कर चुके हैं। अगर बीजेपी कर्नाटक जीत लेगी तो वो कांग्रेस बनाम बीजेपी की पिच पर ही आम चुनाव का गेम खेलेगी।
कर्नाटक चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी ने साफ कहा है कि अगर अगले आम चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनती है तो उन्हें पीएम बनने में कोई गुरेज नहीं होगा। सोशल मीडिया पर बीजेपी के समर्थक लम्बे समय से कांग्रेस बनाम बीजेपी की लड़ाई को राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की लड़ाई बताते रहे हैं। बीजेपी समर्थक अक्सर ये कहते पाए जाते हैं कि मोदी नहीं तो क्या राहुल को चुन लें? लेकिन ये पहली बार होगा कि आधिकारिक तौर पर पीएम उम्मीदवार के रूप में दोनों नेता आमने-सामने होंगे।
पिछले लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के पास पिछले साल क्लीन स्लेट थी। अगले आम चुनाव में 60 महीने में किए गए उनके कामकाज के आधार पर जनता उन्हें तौलेगी। केंद्र में 48 महीने पूरे करने के बाद अगर बीजेपी कर्नाटक जीत जाती है तो वो 2019 में ताल ठोंककर कहेगी कि उसके 60 महीने कांग्रेस के 60 साल से बेहतर साबित हुए हैं।
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर के सब्सक्राइब करें