हरदनहल्ली दोड्डेगौड़ा देवगौड़ा उर्फ एचडी देवगौड़ा कर्नाटक की राजनीतिक पृष्ठभूमि का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। देवगौड़ा 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक भारत के 11वें प्रधानमंत्री भी रहे हैं। उससे पहले साल 1994 से 1996 तक कर्नाटक राज्य के 14वें मुख्यमंत्री भी रहे। देवगौड़ा की राजनीतिक यात्रा किसी को भी प्रभावित कर सकती है। किसी दूरगामी गांव के सहकारी बैंक के प्रेसिडेंट से लेकर भारत की संघीय सरकार के मुखिया बनने तक का सफर आसान नहीं रहा। (कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जुड़ी सभी खबरों के लिए यहां क्लिक कीजिए)
हालाकि 2008 के बाद से उनकी पार्टी जनता दल सेकुलर प्रदेश में कोई खास असर नहीं दिखा सकी है लेकिन एचडी देवगौड़ा का नेतृत्व और रणनीति ने उन्हें किंगमेकर साबित किया है। एचडी देवगौड़ा राजनीति में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। कई बार उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
जरूर पढ़ेंः- कर्नाटक चुनावः इन 11 दिग्गज नेताओं को किसी पार्टी की नहीं, पार्टी को इनकी जरूरत
साल 2008 की बात है। देवगौड़ा ने बीजेपी को सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दिया। इसका नुकसान उन्हें 2008 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा। रोचक बात यह है कि देवगौड़ा की चालाकी का शिकार बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया दोनों नेता बाद में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।
एचडी देवगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय का प्रमुख चेहरा हैं। पुराने मैसूर इलाके में उनकी पार्टी की पकड़ मजबूत है। यहां विधानसभा की 89 सीटें हैं। अगर आगामी विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु नतीजे आते हैं तो इस में दो राय नहीं है कि देवगौड़ा के हाथ में सत्ता की चाबी होगी। राजनीतिक विश्लेषक जानना चाहते हैं कि बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया में से कौन देवगौड़ा के साथ एकबार फिर गठबंधन करना चाहेगा?