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सिद्धारमैया ने यूं ही नहीं खेला है बादामी दांव, उन्हें याद है 29 साल पहले का वो दिन

By भारती द्विवेदी | Updated: May 10, 2018 07:27 IST

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस विधान सभा चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा खास कारण है, वो 1989 के इतिहास को दोहराना चाहते हैं। 

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नई दिल्ली, 9 मई: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को वोटिंग होनी है। चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है। सत्ताधारी कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल (सेकुलर) ने चुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की साख दांव पर लगी हुई है। इस बार वो दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा खास कारण है, वो 1989 के इतिहास को दोहराना चाहते हैं। आइए कर्नाटक सीएम की राजनीतिक यात्रा पर एक नजर डालते हैं।

चामुंडेश्वरी है "पहला प्यार"

चामुंडेश्वरी विधानसभा दक्षिण कर्नाटक में आता है। चामुंडेश्वरी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का गृह जिला भी है। उन्होंने राजनीति में अपनी करियर की शुरुआत इस सीट से साल 1983 में किया था। जाहिर है जिस सिद्धारमैया का लिए चामुंडेश्वरी सीट पहले प्यार की तरह है। इसी वजह से वो चामुंडेश्वरी से चुनाव न लड़ना गँवारा नहीं कर सकते थे।  

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दुश्मन के दुर्ग में घुसकर चुनौती देने का इरादा

उत्तर कर्नाटक का इलाका भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। भाजपा के दिग्गज नेता जगदीश शेट्टर और प्रह्लाद जोशी इसी क्षेत्र से आते हैं। साल 1985 में भाजपा ने पहली बार कर्नाटक में 18 सीटें जीतीं थीं, जिनमें से 11 सीट उत्तर कर्नाटक से थी। भाजपा ने 1994 में 11, 1999 में 15, 2004 में 41 और 2008 में 80 में से 56 सीट जीतकर अपना वर्चस्व कायम किया था। 

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अपने लोग अपनी सीट, 29 साल पुरानी ऐतहासिक जीत

सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय (चरवाहा समुदाय) से आते हैं। उत्तरी कर्नाटक में कई क्षेत्रों में कुरुबा समुदाय के लोगों की अच्छी खासी संख्या है। शायद यही वजह है, जो मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उत्तर कर्नाटक के बादामी से भी उतरने का फैसला किया है। 1989 में सिद्धरमैया बादामी से चुनाव जीत चुके हैं। इस जीत ने उन्हें कुरुबा समुदाय के बड़े नेता के तौर पर उभरने में काफी मदद की। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने माइक्रो-लेवल वोट मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं। बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं जिसकी प्रदेश में काफी बड़ी आबादी है। ऐसे में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेसी सीएम सिद्धारमैया को अपने समुदाय का वोट पूरी तरह एकजुट रखना होगा। इसीलिए सीएम सिद्धारमैया ने बादामी विधान सभा सीट से भी चुनाव लड़कर सन्देश दिया है कि कुरुबा समुदाय के वही एकमात्र नेता हैं और रहेंगे। 

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टॅग्स :सिद्धारमैयाकर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018भारतीय जनता पार्टी
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