सांसद पप्पू यादव-कन्हैया कुमार को चढ़ने से सुरक्षाकर्मियों ने रोका, राहुल गांधी के रथ पर नहीं दिखे नेता, फजीहत का सामना, देखिए वीडियो
By एस पी सिन्हा | Updated: July 9, 2025 17:03 IST2025-07-09T17:01:54+5:302025-07-09T17:03:08+5:30
बिहार बंद के दौरान इंडिया गठबंधन के विरोध मार्च में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और कुछ अन्य नेता एक खुले वैन पर सवार हुए।

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पटनाः चुनाव आयोग के द्वारा बिहार मे कराए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ बुधवार को महागठबंधन ने बिहार बंद बुलाया था। लेकिन बंद के दौरान पटना में बड़ा राजनीतिक दृश्य देखने को मिला। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाले गए जुलूस के दौरान उस समय हलचल मच गई जब कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता कन्हैया कुमार को रथ पर चढ़ने से सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। यह घटना राहुल गांधी के रथ के पास हुई, जब कन्हैया कुमार रथ पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे।
दरअसल, बिहार बंद के दौरान इंडिया गठबंधन के विरोध मार्च में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और कुछ अन्य नेता एक खुले वैन पर सवार हुए। जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वैन पर चढ़ गए, तो उनके पीछे कई अन्य नेता भी चढ़ने की कोशिश करने लगे। इसी दौरान पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी वैन पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया।
इसके पहले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को भी वैन पर चढ़ने की इजाजत नहीं दी गई थी। पप्पू यादव को वैन पर चढ़ते वक्त रोके जाने की तस्वीरें अब सामने आ गई हैं, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। बता दें कि बिहार बंद को लेकर राहुल गांधी पटना में महागठबंधन नेताओं संग सड़क पर उतरे। इसके पहले कन्हैया कुमार भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन करते नजर आए।
लेकिन जिस रथ पर सवार होकर राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव बिहार बंद को लीड कर रहे थे उस पर कन्हैया कुमार को जगह नहीं मिल पाया। प्रदर्शन के दौरान का एक वीडियो वायरल है जिसमें रथ से नीचे उतरते कन्हैया कुमार को देखा जा रहा है। युवा चेहरे के रूप में पेश किये जा रहे कन्हैया को रथ पर जगह नहीं मिलने से अब कई तरह की चर्चा है।
इसमें तेजस्वी यादव के साथ उनकी दूरी की बातें भी कहीं जा रही है। इस घटना को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ इसे कांग्रेस के भीतर बढ़ती अंतर्कलह से जोड़ रहे हैं तो कुछ लोग इसे सुरक्षात्मक निर्णय बता रहे हैं। हालांकि, अभी तक कांग्रेस की ओर से या खुद कन्हैया कुमार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
उल्लेखनीय है कि 28 सितंबर 2021 को दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से ही कन्हैया और तेजस्वी को लेकर बिहार की सियासत में दरार की खबरें हैं। इसी वर्ष बिहार कांग्रेस की 16 मार्च से शुरू हो रही 'नौकरी दो, पलायन रोको' यात्रा को जब कन्हैया कुमार लीड कर रहे थे, उस दौरान भी इसे लेकर तेजस्वी की नाराजगी की खबरें कथित रूप से आई थी।
इसके पहले बेगूसराय से भाकपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद कन्हैया ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। लेकिन वो बिहार में बतौर कांग्रेसी नेता कभी सक्रिए नहीं हुए, बल्कि उनके साथ मंच शेयर करने में तेजस्वी की असहजता ख़बर बनती रही। वहीं, साल 2019 में बेगूसराय में कन्हैया ने चुनाव लड़ा तो राजद ने तनवीर हसन को भी मैदान में उतारा था।
मई 2023 में पटना में आयोजित प्रज्ञापति सम्मेलन में कन्हैया के शामिल होने पर मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाए गए तेजस्वी यादव ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी। हालांकि हाल ही में जून में कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव है और अगर महागठबंधन चुनाव जीतती है तो तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
कन्हैया कुमार ने कहा कि इस मामले में कोई संदेह नहीं है। आंकड़ों में देखें तो अविभाजित बिहार में विधानसभा में कुल 324 सीट थी। नौवीं विधानसभा यानी साल 1985 के विधानसभा चुनाव तक ही कांग्रेस की जीत का आंकड़ा तीन अंकों को छू पाया था। 1990 में पार्टी को सिर्फ 71 सीट मिली।
झारखंड अलग होने के बाद बिहार विधानसभा की सीट घट कर 243 हो गई। कांग्रेस ने फ़रवरी 2005 के चुनाव में 10, नवंबर 2005 में 09, साल 2010 के चुनाव में 04, 2015 के विधानसभा चुनाव में 27 और साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीती थीं।