जेएनयू की पहली महिला कुलपति: विवादित ट्वीट्स सामने आने के बाद अकाउंट डिलीट हुआ, कदाचार के आरोपों के बाद भी हुई नियुक्ति
By विशाल कुमार | Updated: February 8, 2022 11:14 IST2022-02-08T08:11:31+5:302022-02-08T11:14:30+5:30
जेएनयू की पहली महिला कुलपति बनने वाली प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित के ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था, भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था।

प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित.
नई दिल्ली: जेएनयू की पहली महिला कुलपति बनने वाली प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित की नियुक्ति सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी द्वारा यह खुलासा करने के बाद भी की गई कि कथित कदाचार के लिए दो मौकों पर उसकी वेतन वृद्धि रोक दी गई थी। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका दावा किया है।
दरअसल, जब पंडित पुणे विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय छात्र केंद्र (आईएससी) की निदेशक थीं, तब साल 2011 में डीएनए ने बताया था कि भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के लिए आरक्षित सीटों के लिए 2002 और 2007 के बीच 1,800 से अधिक भारतीय छात्रों को विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया गया था।
पुणे विश्वविद्यालय के नरेंद्र जाधव ने तब सुनंदा पवार की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था, जिसने पाया कि पंडित ने नियमों का उल्लंघन करते हुए पीआईओ कोटे में अयोग्य छात्रों को भर्ती कराया था।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेए पाटिल की एक समिति ने भी पंडित को गलत प्रवेश के लिए दोषी ठहराया था, लेकिन यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने उनकी पांच वेतन वृद्धि रोककर उनके खिलाफ बेहद हल्की कार्रवाई की थी।
वहीं, उनकी नियुक्ति के तत्काल बाद ही उनके नाम के एक अपुष्ट ट्विटर हैंडल से किए गए विवादित ट्वीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
उन ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था, भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था। विवाद को बढ़ते देख उस ट्विटर हैंडल को ही डिलीट कर दिया गया।
पंडित अभी महाराष्ट्र के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के राजनीति व लोक प्रशासन विभाग में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं। पंडित (59) जेएनयू की पूर्व छात्रा भी हैं, जहां से उन्होंने एमफिल के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी की उपाधि हासिल की है।
पंडित ने अपने शिक्षण करियर की शुरुआत 1988 में गोवा विश्वविद्यालय से की और 1993 में पुणे विश्वविद्यालय चली गईं। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है।
वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) की सदस्य और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए विज़िटर द्वारा नामांकित भी रही हैं। अपने करियर में उन्होंने 29 शोधार्थियों को निर्देशित किया है।
बता दें कि, पंडित एम. जगदीश कुमार की जगह लेंगी जो हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष बने हैं। उनका नियुक्ति आदेश 4 फरवरी को जारी किया गया था और यह पांच साल की अवधि के लिए वैध है।