JNU फीस विवाद: इस बार मोदी सरकार के खिलाफ सिर्फ वामपंथी नहीं बल्कि पूरा जेएनयू खड़ा है

By निखिल वर्मा | Published: November 21, 2019 11:11 AM2019-11-21T11:11:32+5:302019-11-21T12:07:28+5:30

जेएनयू के छात्रों का कहना है कि मीडिया के एक तबके ने छात्रों और फीस बढ़ोतरी के खिलाफ हुए आंदोलन की गलत तस्वीर पेश की है।

jnu fee hike protest ground report students warns modi government delhi police beaten blind shashi bhushan samad | JNU फीस विवाद: इस बार मोदी सरकार के खिलाफ सिर्फ वामपंथी नहीं बल्कि पूरा जेएनयू खड़ा है

जेएनयूएसयू पार्षद शशिभूषण समद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान

Highlightsजेएनयू के छात्र राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि खुद सब्सिडी लेकर पढ़े वाइस चांसलर गलत कर रहे हैंशशिभूषण समद का आरोप है कि स्ट्रीट लाइट बुझाकर दिल्ली पुलिस ने लाठियां बरसाई हैं

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार जेएनयू के छात्र फीस बढ़ोतरी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर है। जेएनयू में पिछले 25 दिनों से छात्र फीस बढ़ोत्तरी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और 18 नवंबर को संसद मार्च के दौरान छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प भी हुई है जिसमें कई लोगों को चोटें आई है। 

मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति छात्रों से मिलने और मौजूदा मुद्दों का समाधान ढूंढ़ने के लिए शुक्रवार (22 नवंबर) को जेएनयू का दौरा करेगी। वहीं दिल्ली पुलिस ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में मंगलवार को दो प्राथमिकी दर्ज की। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना किए जाने की मांग की है।

19 नवंबर को जेएनयू में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी चोट दिखाते छात्र
19 नवंबर को जेएनयू में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी चोट दिखाते छात्र

2016 से अलग है माहौल

नौ फरवरी 2016 को जेएनयू तब चर्चा में आ गया जब कथित तौर पर विश्वविद्यालय में भारत विरोधी नारे लगाने की खबर आई थी। उस समय तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ कन्हैया कुमार को जेल भी जाना पड़ा। उस समय जेएनयू पूरी तरह दक्षिणपंथ और वामपंथ में बंट गई थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर मोदी सरकार के खिलाफ यहां के वर्तमान और पूर्व छात्र उतरे हैं चाहे वो किसी भी विचारधारा के हैं। 

2016 में जेएनयू में छात्रों के बीच कन्हैया कुमार
2016 में जेएनयू में छात्रों के बीच कन्हैया कुमार

एबीवीपी ने जेएनयू छात्र संघ को दिया समर्थन लिया वापस

यहां के छात्र छात्रावास नियमावली के मसौदे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें छात्रावास की फीस बढ़ाए जाने, ड्रेस कोड और आवाजाही के समय पर प्रतिबंध का जिक्र है। इस आंदोलन को पहले आरएसएस संबद्ध एबीवीपी ने भी समर्थन दिया था लेकिन एचआरडी मंत्रालय द्वारा तीन सदस्यीय समिति के गठन के बाद ABVP ने समर्थन वापस ले लिया। एबीवीपी ने दिल्ली पुलिस की उस कार्रवाई की निंदा भी कि जिसमें उसने ‘‘ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे जेएनयू के छात्रों से हाथापाई की और अवरोधक लगाए।’’ साथ ही उसने कहा कि एचआरडी मंत्रालय की समिति को स्वीकार करने के कारण एबीवीपी वाम पंथी इकाई को दिया अपना समर्थन वापस लेता है। 

छात्र बोले, कुछ मीडिया संस्थानों ने गलत तस्वीर पेश की

जेएनयू के लोहित छात्रावास में रहने वाले अमोल रंजन कहते हैं, मीडिया में जेएनयू की फीस की समस्या को लेकर कई ख़बरें हैं| ज्यादातर ख़बरें यह बात कर रही है कि हॉस्टल के डबल रूम का रेंट 10 रुपये महीने से बढ़कर 300 रुपये महीने हो गया है इसलिए जेएनयू के छात्र आन्दोलन कर रहे हैं| दरअसल फीस की बढ़ोतरी सिर्फ रूम के किराये तक सीमित नहीं है। इस बार ऐसे भी फीस वसूले जा रहे हैं जो पहले कभी नहीं थे। इनके नाम है; यूटिलिटी चार्ज और सर्विस चार्ज।

पूरे मामले को समझाते हुए अमोल कहते हैं, जब फीस बढ़ने की पहली सूचना जेएनयू प्रशासन से आई तो ये कहा गया की अब हर हॉस्टल निवासी को हर महीने हॉस्टल के सर्विस और यूटिलिटी में हुए खर्चे को भी उठाना पड़ेगा| जब हॉस्टल मैन्युअल का ड्राफ्ट बना तो उसमें बताया गया कि सर्विस चार्ज अनुमानित तौर पर 1700 रुपये प्रति महीने आएगा आएगा। जब  जेएनयू ने एग्जीक्यूटिव कौंसिल के  साथ बैठक कर संशोधित फीस की घोषणा कि तो उसमें सर्विस चार्ज के अनुमानित राशि को छुपा दिया गया और सिर्फ यह बताया गया कि सेर्विस चार्ज और यूटिलिटी चार्ज जितना वास्तविक रूप से आएगा वो हॉस्टल निवासी को देना पड़ेगा। 

सर्विस चार्ज में मेस सर्विस, सफाई सर्विस और हॉस्टल के सारे स्टाफ के खर्चे शामिल हैं। यूटिलिटी चार्ज में बिजली बिल और पानी का बिल शामिल है। संशोधित हॉस्टल मैन्युअल में महीने में जेएनयू प्रशासन ने यह नहीं बताया है कि हर किसी का बिजली और पानी का बिल कैसे निर्धारित करेगी। क्या वो हर रूम में बिजली का मीटर लगाएंगे? ऐसा तो प्रतीत नहीं होता। पर एक अनुमान यह निकाला जा सकता है कि किसी हॉस्टल के महीने के कुल बिजली और पानी का खर्च हॉस्टल के सारे निवासीयों में बराबर बांटा जायेगा। 

अभी हर महीने मेस में खाने का बिल 2400 रुपये के ऊपर आता है। सब तरह के बिल को जोड़ दें तो ऐसा बताया जा रहा है की हर हॉस्टल निवासी को प्रति महीने औसतन 6 हज़ार रुपये से 7 हज़ार रुपये का खर्च आ सकता है| यह हॉस्टल वासियों के खर्चे को दुगना कर देगी| यह बात किसी हॉस्टल निवासी को पसंद नहीं आ रही है। नए संशोधन के अनुसार जेएनयू प्रशासन ने बीपीएल परिवार से आने वाले हॉस्टल निवासियों को सर्विस और यूटिलिटी चार्ज के बिल पर 50 प्रतिशत देने का फैसला किया है। यह एक हास्यापद फैसला है और इससे बीपीएल परिवार को कैसे रहत मिलेगी मालूम नहीं।

 

केंद्र सरकार के एक मानक के अनुसार बीपीएल परिवार का सर्टिफिकेट पाने के लिए उस परिवार की आय 27 हज़ार रुपये सालाना या उससे कम होनी चाहिए। अभी बिना सर्विस चार्ज और यूटिलिटी चार्ज को जोड़े भी मेस के सिर्फ खाने का बिल प्रति व्यक्ति औसतन सालाना 28 हज़ार के ऊपर ही आता है जो बीपीएल परिवार के व्यक्ति को भी देना पड़ता है। जेएनयू के 2017-18 के रिपोर्ट के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2017-18 में दाखिल लेने वालों में 40 प्रतिशत छात्रों के माता-पिता की आय 12,000 रुपये महीने से कम थी। इन सारे छात्रों पर फीस बढ़ोतरी का असर होगा।

अमोल आंदोलन की वजह बताते हैं, "जेएनयू विश्वविद्यालय के नियमों अनुसार हॉस्टल मैन्युअल में बदलाव छात्र या उनके प्रतिनिधियों से बातचीत करके ही होता है। इस बार जब बदलाव किये गए तो छात्रों को उचित मौका नहीं दिया गया। जब से प्रदर्शन हो रहे हैं जेएनयू के छात्र यहाँ के वाईस चांसलर से मिलने की मांग कर रहे हैं पर वो एक बार भी छात्रों से मिलाने भी नहीं आये हैं। बदले में पुलिस की लाठियां ही मिली हैं। जो लोग सोच रहे हैं की जेएनयू के छात्र व्यर्थ में ही प्रदर्शन कर रहे हैं; उससे पहले इन तथ्यों को पढ़ लें फिर सोचें की एक छात्र पर अचानक से खर्च का इतना बोझा डाल दिया जायेगा तो वो क्या करेगा।"

 

English summary :
JNU Student Protest Update: Jawaharlal Nehru has been agitating over the last 25 days over the increase in student fees and there was a clash between students and Delhi Police during the Parliament march on 18 November in which many student were injured.


Web Title: jnu fee hike protest ground report students warns modi government delhi police beaten blind shashi bhushan samad

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