JKLF Ban: मोदी सरकार ने शनिवार को यासीन मलिक की जेकेएलएफ पर प्रतिबंध अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया और इसे 'गैरकानूनी एसोसिएशन' घोषित कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 'जेकेएलएफ (यासीन मलिक गुट) जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में लगा हुआ है।' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ (यासीन मलिक धड़े) को और पांच वर्ष के लिए प्रतिबंधित समूह घोषित किया है। जेकेएलएफ (यासीन मलिक धड़ा) जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में लिप्त है। अगर कोई देश की सुरक्षा, संप्रभुत्ता और अखंडता को चुनौती देते हुए पाया गया तो उसे कठोर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स फ्रीडम लीग’ को भी अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंधित समूह घोषित किया। गृह मंत्रालय ने जेकेपीएल (मुख्तार अहमद वाजा), जेकेपीएल (बशीर अहमद तोता), जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान) और जेकेपीएल (अजीज शेख) गुटों पर भी प्रतिबंध लगाया।
कौन है यासीन मलिक?
जेल में बंद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासिन मलिक को 24 मई 2022 को ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अपील दायर कर सजा को आजीवन कारावास से बढ़ाकर मृत्युदंड करने की मांग की थी, जो अपराध के लिए अधिकतम सजा है। आजीवन कारावास की सजा दो अपराधों के लिए दी गई। आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाना) है।
अदालत ने मलिक को आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 121-ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और धारा 15 (आतंकवाद), 18 (आतंकवाद की साजिश) के तहत प्रत्येक को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी ) और यूएपीए के 20 (आतंकवादी संगठन का सदस्य होना) है।
वारंट 1990 में वायुसेना के चार कर्मियों की गोली मार कर हत्या किये जाने के मामले में गवाहों से जिरह कराने के लिए जारी किया गया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण के मामले में गवाहों से जिरह कराने के लिए प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो कर पेशी के वास्ते पहली बार मलिक की मांग स्वीकार की थी।
मलिक के संगठन ने 1989 में रूबैया का अपहरण किया था। श्रीनगर के बाहरी इलाके में 1990 में वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के मामले में मलिक और छह अन्य के खिलाफ पिछले साल 16 मार्च को आरोप तय किये गये थे, जबकि रूबैया के अपहरण के मामले में इस साल 11 जनवरी को जेकेएलएफ प्रमुख और नौ अन्य के खिलाफ आरोप तय किये गये। मलिक, इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। उसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवाद को धन मुहैया करने के सिलसिले में अप्रैल 2019 में गिरफ्तार किया था।