रांची: झारखंड में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई रोजगार नीति को लेकर छात्रों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार की नई डोमिसाइल नीति का विरोध कर रहे हैं इस दौरान उग्र होते प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए झारखंड पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े हैं।
प्रदर्शनस्थल से आए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस छात्रों को काबू में करने के लिए पूरी सख्ती बरत रही है। कई छात्रों को भागने के लिए पुलिस लाठियां भांज रही है और आंसू गैस के गोले से भीड़ को अलग कर रही है।
डीसी राहुल सिन्हा ने कार्रवाई पर सूचना देते हुए कहा, "विरोध हिंसक हो गया, इसलिए हमने 500 से अधिक पुलिस अधिकारियों को तैनात किया। हम कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए सतर्क हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि छात्र यहां से चले जाएं। हमें आंसू गैस का भी इस्तेमाल करना पड़ा।"
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शकारियों ने झारखंड विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उनके इस प्रयास को विफल करते हुए सभी को खदेड़ दिया।
बताया जा रहा है कि विभिन्न जिलों के छात्र विधानसभा का घेराव करने के लिए पहले शहीद मैदान में जमा हुए थे। इसके बाद छात्रों का समूह आगे बढ़ता हुआ जगन्नाथ मंदिर के पास लगे बैरिकेड को तोड़कर विधानसभा के समीप वाले खेत में पहुंच गए।
इस दौरान पुलिसकर्मियों ने छात्रों को वापस भेजने का प्रयास किया। हालांकि, स्थिति बेकाबू होता देख पुलिस ने बल का प्रयोग किया और छात्रों पर लाठियां बरसा दी। भीड़ को भागने के लिए पुलिस ने हवा में कई बार आंसू गैस के गोले छोड़े।
सभी प्रदर्शकारी घर जा चुके हैं- पुलिस
पुलिस बल का प्रयोग करते हुए अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर पूर्ण रूप से काबू पा लिया है। जानकारी के अनुसार, स्थिति अब नियंत्रण में है।
वहीं, रांची के एसपी नौशाद आलम का कहना है, "सभी प्रदर्शकारी घर जा चुके हैं। स्थिति अब काबू में है। अलग-अलग जगहों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती कर दी गई है। किसी को भी कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं है।"
उन्होंने कहा कि सभी को विरोध करने की पूरी अनुमति है लेकिन विरोध करने का स्थान निर्धारित है, नागरिकों को इसका पालन करना होगा।
गौरतलब है कि हाल ही में राज्य के सीएम हेमंत सोरेन की सरकार के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने नई नियोजन नीति की सौगात राज्य को दी। इसके तहत राज्य में नियुक्तियों में 60 फीसदी पदों पर झारखंड के मूल निवासियों को जबकि 40 फीसदी को ओपन फॉर ऑल कर दिया गया है। इसी नीति का छात्र विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य के कई जिलों से ओबीसी आरक्षण को हटा दिया गया है। इसे लेकर भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं।