बहू के चक्कर में फिर फंसे शिबू सोरेन! दोबारा खुलेगी 21 साल पुराने घूस कांड की फाइल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 10, 2019 10:21 AM2019-03-10T10:21:33+5:302019-03-10T10:22:19+5:30
बहुचर्चित सांसद घूस कांड में आरोपी रहे झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन, जो झामुमो की विधायक हैं, पर 2012 में राज्यसभा की दो सीटों के हुए चुनाव में पैसे लेकर एक प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के आरोप में आपराधिक मामला चल रहा है।
खुशालचंद बाहेती (नई दिल्ली): क्या किसी सांसद या विधायक को संसद या विधानसभा में बोलने या वोट के बदले नोट लेने की छूट है? क्या वह ऐसा करके आपराधिक मुकदमे से बचने का दावा कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने यह तय करने के लिए 21 साल पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) घूस कांड में दिए गए अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का फैसला किया है. पुनर्विचार करने के आशय का फैसला उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना ने लिया है, जिससे एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं.
बहुचर्चित सांसद घूस कांड में आरोपी रहे झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन, जो झामुमो की विधायक हैं, पर 2012 में राज्यसभा की दो सीटों के हुए चुनाव में पैसे लेकर एक प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के आरोप में आपराधिक मामला चल रहा है. उच्च न्यायालय ने उनकी आपराधिक मुकदमे को रद्द करने संबंधी याचिका खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की.
उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान उनके ससुर शिबू सोरेन और उनकी पार्टी के चार सांसदों द्वारा 1993 में कथित रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान के लिए घूस लिये जाने वाला मामला सामने आते ही फैसले की भी समीक्षा का आदेश दिया. बाद में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई ने सीता सोरेन की याचिका को वृहद पीठ के पास भेज दिया.