झारखंड हाईकोर्ट से हेमंत सोरेन को लगा झटका, सीएम व करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश पर दायर याचिका हुई स्वीकार

By एस पी सिन्हा | Updated: June 3, 2022 15:39 IST2022-06-03T15:29:03+5:302022-06-03T15:39:09+5:30

सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन व न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत ने दाखिल याचिका को वैध माना है और याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में मेरिट पर सुनवाई करेगी।

Jharkhand High Court accepts maintainability of PIL against CM Hemant Soren | झारखंड हाईकोर्ट से हेमंत सोरेन को लगा झटका, सीएम व करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश पर दायर याचिका हुई स्वीकार

झारखंड हाईकोर्ट से हेमंत सोरेन को लगा झटका, सीएम व करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश पर दायर याचिका हुई स्वीकार

Highlightsराज्य सरकार, प्रार्थी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ईडी की बहस पूरी होने के बाद बुधवार को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।इस मामले की सुनवाई 10 जून को फिजिकल कोर्ट में होगी।

रांची:झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश की जांच मांग को लेकर दाखिल याचिका की वैधता पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने मुख्यमंत्री के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश पर दायर जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना है। मेंटेनबिलिटी की बिंदु पर सरकार की ओर से दी गई दलिलों को खारिज कर दिया है।

सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन व न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत ने दाखिल याचिका को वैध माना है और याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में मेरिट पर सुनवाई करेगी। सरकार ने समय मांगा था। अब इस मामले की सुनवाई 10 जून को फिजिकल कोर्ट में होगी। 10 जून के दिन सुनवाई के लिए यह पहला केस होगा। वहीं झारखंड सरकार कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। 

महाधिवक्ता ने कोर्ट के आदेश जल्द अपलोड करने का आग्रह किया है। ईडी का कहना है कि प्रथम दृष्टया शेल कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग किए जाने का अपराध हुआ है। झारखंड में अवैध खनन संपत्ति अर्जित करने वालों की जांच से सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर याचिका दाखिल करने में नियमों का पालन नहीं किया गया है, तो इसका सहारा लेकर न्याय का रास्ता नहीं रोका जा सकता है। कोर्ट इस मामले में अपने शक्तियों का इस्तेमाल कर जांच का आदेश देना चाहिए।

बता दें कि राज्य सरकार, प्रार्थी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ईडी की बहस पूरी होने के बाद बुधवार को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक ओर जहां राज्य सरकार इस याचिका की वैधता यानी याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट से आग्रह किया था कि वह इस याचिका पर आगे की सुनवाई नहीं करे, क्योंकि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाई कोर्ट रूल के तहत याचिका दाखिल नहीं की है। उन्होंने न तो अपने बारे में पूरी जानकारी दी थी और न ही संबंधित मामले के इतिहास को अदालत के समक्ष रखा था। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार साफ हृदय और साफ मंशा से ही जनहित याचिका दाखिल की जा सकती है। यानी प्रार्थी किसी प्रकार से अपने किसी खास उद्देश्य के लिए ऐसा नहीं कर सकता है। वहीं, प्रार्थी ने कहा कि नियमानुसार प्रार्थी के बारे में सभी तथ्यों की जानकारी दी गई है। जब सरकार की ओर से याचिका की वैधता पर सवाल उठाया गया, तो उनकी ओर से पूरक शपथ पत्र दाखिल किया गया है। 

इसके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों के कंपनियों के बारे में जानकारी दी गई है, जिसकी जांच सीबीआई से कराया जाना उचित होगा। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने आदेश की कॉपी आने तक समय की मांग की है। जबकि जवाब में याचिककर्ता के वकील ने सुनवाई शीघ्र शुरू करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर इसमें देर हुई तो साक्ष्य में छेड़छाड़ संभव है।

Web Title: Jharkhand High Court accepts maintainability of PIL against CM Hemant Soren

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