हेमंत सोरेन सरकार ने किया कोर्ट फी में बढ़ोतरी, विधानसभा में भाजपा और भाकपा- माले विधायक ने किया हंगामा, न्याय लेना महंगा

By एस पी सिन्हा | Updated: December 22, 2022 18:09 IST2022-12-22T18:07:58+5:302022-12-22T18:09:44+5:30

भाजपा विधायक अमर बाउरी ने सदन में कहा कि झारखंड के गरीब लोग अपनी जमीन को बचा नहीं पाएंगे। वहीं, माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि अब न्याय लेना महंगा पड़ जाएगा।

Jharkhand Hemant Soren government increased court fee BJP and CPI ML MLA created ruckus assembly | हेमंत सोरेन सरकार ने किया कोर्ट फी में बढ़ोतरी, विधानसभा में भाजपा और भाकपा- माले विधायक ने किया हंगामा, न्याय लेना महंगा

संपत्ति विवाद में 50,000 से बढ़कर 300000 तक कर दी गई है।

Highlightsअगर कोई व्यक्ति जमीन विवाद में पड़ता है तो उसे 50,000 के बजाय 300,000 देने होंगे। विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि फैमिली कोर्ट शुल्क में बढ़ोतरी नहीं होना चाहिए। संपत्ति विवाद में 50,000 से बढ़कर 300000 तक कर दी गई है।

पटनाः झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज चौथे दिन प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने सदन के अंदर कोर्ट फी विधेयक 2022पेश किया। इस पर भाजपा विधायक अमर बाउरी, आजसू विधायक लंबोदर महतो एवं भाकपा- माले विधायक विनोद सिंह ने कोर्ट फी बढ़ोतरी का विरोध किया।

भाजपा विधायक अमर बाउरी ने सदन में कहा कि झारखंड के गरीब लोग अपनी जमीन को बचा नहीं पाएंगे। वहीं, माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि अब न्याय लेना महंगा पड़ जाएगा। अगर कोई व्यक्ति जमीन विवाद में पड़ता है तो उसे 50,000 के बजाय 300,000 देने होंगे। यह विधायक झारखंड के जनजातियों के अनुरूप नहीं है।

जबकि विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि फैमिली कोर्ट शुल्क में बढ़ोतरी नहीं होना चाहिए। कोर्ट फी संशोधन विधेयक 2022 के अनुसार इस मामले में 6 से लेकर 10 गुना तक की वृद्धि की गई है। संपत्ति विवाद में 50,000 से बढ़कर 300000 तक कर दी गई है। वहीं राज्य के एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में अभिलेख मंगाने के शुल्क 100है।

शपथ पत्र दायर करने के लिए 30 अन्य न्यायालय के लिए 20 फीस ली जाएगी। वहीं वकालतनामा के लिए 50 का प्रावधान है, जबकि निचली अदालत में यह शुल्क 30है। आदेश का नकल निकालने के लिए 10 प्रति पेज लेने का प्रावधान है। बता दें कि कोर्ट फी बढ़ोतरी को लेकर के झारखंड के अधिवक्ताओं के द्वारा इसका विरोध किया गया था।

राज्यपाल ने भी राज्य के जनजातीय लोगों को देखते हुए इस विधेयक पर पुनर्विचार करने को कहा था। पूर्व में भी इसको लेकर राज्यपाल से 25 जुलाई 2022 को झारखंड बार काउंसिल के प्रतिनिधि ने कोर्ट फी बढ़ोतरी संशोधन को वापस लेने की मांग रखी थी। विधि सम्मत तय करने को लेकर राज्य सरकार को निर्देशित करने का आग्रह भी किया था। 

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