झारखंड: वासेपुर में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने कहा- "मां और मुल्क नहीं बदला जाता है"
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2020 11:41 AM2020-01-22T11:41:50+5:302020-01-22T11:42:05+5:30
यह पहली बार देखने को मिल रहा है जब इस क्षेत्र की महिलाएं अपने घर परिवार के लोगों को आंदोलन से जोड़ते हुए प्रदर्शन को आगे बढ़ा रही है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ यह महिलाएं पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से सड़कों पर उतर कर विरोध जता रही हैं।
झारखंड के धनबाद जिले का वासेपुर क्षेत्र लंबे समय से गिरोह हिंसा से प्रभावित रहा है। हालांकि, पिछले 20 दिनों से इस इलाके की महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।
यह पहली बार देखने को मिल रहा है जब इस क्षेत्र की महिलाएं अपने घर परिवार के लोगों को आंदोलन से जोड़ते हुए प्रदर्शन को आगे बढ़ा रही है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ यह महिलाएं पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से सड़कों पर उतर कर विरोध जता रही हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मंगलवार को करीब 500 महिलाएं धरना स्थल पर एकत्रित हुईं। 40 वर्षीय तबस्सु खान ने दावा किया कि वह भाजपा को वोट देती है। बाबरी (मस्जिद) फैसला आने पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। यही नहीं वह कहती हैं कि ट्रिपल तालक कानूनों पर भी हमने सरकार का विरोध नहीं किया। लेकिन, CAA पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और भेदभाव वाला कानून है। इसलिए उसने विरोध करने का मन बना लिया है। उसने कहा कि उसके बच्चों की परीक्षाएं आने वाले हैं, लेकिन वह उन्हें समय नहीं दे पा रही है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान एक महिला सुल्ताना के हाथ में एक प्लेकॉर्ड था। जिसमें लिखा था,“जो मोहब्बत लिखी है गीता और कुरान में, फिर कैसा झगड़ा हिन्दू और मुसलमान में। ”
उस महिला ने बताया कि कोई भी कानून बाद में है, पहले हम हैं। इसके साथ ही महिला ने यह भी कहा कि शाहीन बाग की तर्ज पर उन्होंने आंदोलन की शुरुआत की है।
सलमा उस्मानी, जो धनबाद में एक अंतरराष्ट्रीय कॉस्मेटिक ब्रांड के साथ काम करती हैं, उन्होंने कहा, "हम सिर्फ शांति से रहना चाहते हैं ... सरकार को समझने की जरूरत है, "माँ और मुल्क को बदला नहीं जाता है।"
उन्होंने कहा, "मैंने अपने पति का समझाया कि यह वक्त आ गया है जब हम महिलाओं को सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध जर्ज कराना चाहिए।"
7 जनवरी को एक रैली के बाद, पुलिस ने दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित राजद्रोह कानून और धाराओं के तहत सात लोगों और लगभग 3,000 अज्ञात पर केस दर्ज किया है।
एक दिन बाद, पुलिस ने राजद्रोह के आरोपों को हटाने के लिए अदालत में एक याचिका दायर की।
हालांकि, विरोध कर रहे उस्मानी ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसा को बढ़ावा देने वाला तत्व वहां नहीं था।