झारखंड का चुनावी रण फतह करने के लिए भाजपा का मास्टर स्ट्रोक दिलाएगा जीत?
By एस पी सिन्हा | Published: August 27, 2019 04:35 PM2019-08-27T16:35:24+5:302019-08-27T16:35:24+5:30
झारखंड की 81 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए इसी वर्ष नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं। मौजूदा राज्य सरकार का कार्यकाल 27 दिसंबर को खत्म हो रहा है। चुनाव में समय ज्यादा नहीं बचा है, लिहाजा सभी दलों ने अपनी रणनीतियों को अमली जामा पहनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राज्य की 14 सीटों पर विशेष फोकस बताया जा रहा है।
झारखंड में भाजपा ग्रास रूट पर विधानसभा चुनाव की तैयारी को अमलीजामा पहना रही है. पार्टी राज्य की 14 विधानसभा सीटों पर विशेष फोकस करेगी. इसमें ज्यादातर सीटें झामुमो और कांग्रेस के पास हैं. इन सीटों पर पार्टी लंबे समय से जीत हासिल नहीं कर पाई है. पार्टी ने माइक्रो लेवल पर राज्य के 29,423 बूथों की पड़ताल की है.
विधानसभा चुनाव के नवनियुक्त प्रभारी ओम प्रकाश माथुर ने प्रदेश कमेटी से बूथवार रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. इसमें बूथों को श्रेणीबद्ध करने को कहा गया था. वैसे बूथ चिह्नित करने को कहा गया है, जिसमें भाजपा पिछड़ती रही है.
पार्टी की ओर से प्रभारी माथुर को बूथवार पूरी रिपोर्ट सौंप भी दी गई है. पार्टी ने वैसे करीब तीन हजार बूथ चिह्नित किये हैं, जहां पिछले चुनाव में पिछड़ी है. अल्पसंख्यक बाहुल्य इन बूथों पर पार्टी विशेष रणनीति तैयारी करेगी. वहीं, अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं व नीतियों को लेकर यहां के वोटर के बीच पहुंचने कहा गया है.
मुस्लिम वोटरों, खासकर महिला वोटर के बीच तीन तलाक को पार्टी मुद्दा बनायेगी. इन बूथों पर सांगठनिक स्तर पर भी मजबूत घेराबंदी करने को कहा गया है. इन बूथों पर हर हाल में कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड में 29,423 बूथ हैं. जिसमें भाजपा 2900 से ज्यादा बूथों पर पिछड़ती रही है. इसमें भाजपा की रणनीति है कि अल्पसंख्यक बाहुल्य बूथों को जीता जाये. इसमें से 800 से ज्यादा बूथों पर भाजपा अपने गढ़ में पिछड़ी है. ऐसे में पूर्व में हुई चूक को दुरुस्त करने की रणनीति पर पार्टी काम कर रही है. जबकि 4000 बूथों पर भाजपा को अपने विरोधियों से कांटे की टक्कर हुई है. इसमें प्रभारी ओपी माथुर ने कोर कमेटी की बैठक में इन सीटों पर फतह की रणनीति बनाने को कहा है.
केद्रीय नेतृत्व चुनावी रणनीति में किसी तरह की चूक नहीं चाहता है. वहीं, प्रदेश कमेटी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में ऐसे बूथ भी हैं. जिसमें अपने ही गढ़ में पार्टी को नुकसान हुआ है. ऐसे आठ सौ बूथ चिह्नित किये गये हैं. इन बूथों पर पीछे रहने का कारण पार्टी ढूंढ रही है.
पार्टी द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में ऐसे बूथों का भी जिक्र है, जिसमें पार्टी को संघर्ष करना पड़ा. यहां पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर रही. इन बूथों पर भी पार्टी ताकत लगाएगी. विरोधियों को कोई मौका नहीं मिले, इसके लिए घर-घर तक पहुंचेंगे. लड़ाई को आसान बनाने का तरीका खोजा जा रहा है.
प्रभारी माथुर ने कोर कमेटी की बैठक में कहा है कि किसी भी सीट पर जीत को पक्का मान कर न चलें. कार्यकर्ता अत्यधिक आत्मविश्वास में न रहें. कार्यकर्ता बूथ पर ढीले न पड़ें. सांगठनिक और चुनावी गतिविधि बूथ स्तर पर लगातार चलाया जाये. जिन बूथों या सीट पर पार्टी की मजबूत स्थिति है, वहां भी तैयारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए. संगठन को हर बूथ पर कमेटी खड़ा करने कहा गया है.