झारखंड में भोजपुरी और मगही भाषा पर विवाद, बिहार में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा, जानें पूरा मामला
By एस पी सिन्हा | Updated: February 20, 2022 16:44 IST2022-02-20T16:43:06+5:302022-02-20T16:44:13+5:30
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान वहां के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से बिहारियों को लेकर दिया गया बयान और उसे लेकर शुरू हुआ विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में बिहारियों के साथ नया खेल कर दिया है.

झारखंड में सियासत चमकाने के चलते कांग्रेस को बिहार में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पटनाः झारखंड में क्षेत्रीयता को लेकर वोट बैंक की सियासत ने पूरी रफ्तार पकड़ ली है. राज्य में सत्तारूढ़ दल झामुमो और कांग्रेस की सियासी चाल के कारण भोजपुरी और मगही भाषी लोग हाशिये पर चले गये हैं. इसके चलते बिहार में भी कांग्रेस के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है.
दरअसल, पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान वहां के मुख्यमंत्री चन्नी की तरफ से बिहारियों को लेकर दिया गया बयान और उसे लेकर शुरू हुआ विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि झारखंड की हेमंत सरकार में बिहारियों के साथ नया खेल कर दिया है. झारखंड में क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट से भोजपुरी और मगही को बाहर कर दिया गया है.
जानकारों के अनुसार झारखंड में बिहारी मूल के लोगों को हाशिये पर ला गिये जाने के कारण बिहार में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. कारण कि बिहार में झामुमो का कोई जनाधार नहीं है. इसलिए उसपर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. लेकिन बिहार की सियासत में कांग्रेस का दबदबा रहा है. ऐसे में भोजपुरी और मगही भाषी लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.
दरअसल, झारखंड में सियासत चमकाने के चलते कांग्रेस को बिहार में नुकसान उठाना पड़ सकता है. कारण कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस से इस मामले को लेकर क्षेत्रीय राजनीति कर रही है और इन्हीं दोनों पार्टियों के दबाव के बाद भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है.
अब भोजपुरी और मगही को लेकर एक ओर झारखंड में नए सिरे से विवाद गहरा सकता है, तो वहीं बिहार में यह मामला भी तूल पकड़ता दिखने लगा है. बता दें कि विवाद को लेकर वोट बैंक की राजनीति से जुडा हुआ है. वही झारखंड में नेता इसका विरोध कर रहे हैं, जिन्हें पता है कि दोनों भाषा बोलने वाले लोगों का वोट उन्हें या उनकी पार्टी को नहीं मिलता.
इसबीच बिहार में सियासत के गर्माता देख कांग्रेस ने भी जदयू की राह पर चलते हुए झारखंड के भाषा विवाद पर बयान दिया है. कांग्रेस विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि झारखंड सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांग्रेस पार्टी यह आग्रह कर रही है. बिहार-झारखंड का पुराना रिश्ता है और बोलचाल की भाषा उन लोगों की मगही और भोजपुरी है.
जब उनसे यह पूछा गया कि जदयू का यह कहना कि कांग्रेस सत्ता में है, दबाव बनाएं, तो उन्होंने कहा कि किस तरह से दबाव बनाया जाता है, वह जदयू बताएं क्योंकि केंद्रीय सत्ता में जदयू भी भाजपा के साथ है. बिहार को विशेष राज्य के दर्जा दिलाने के लिए जदयू ने भाजपा पर किस तरह से दबाव बनाया है, वह पहले बताएं. सिर्फ बयान देकर अपना पल्ला झाड़ने से काम ना नहीं चलेगा.