झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की परंपरा खत्म, शून्यकाल की बढ़ाई गई संख्या, जानिए कार्यसंचालन-नियमावली में और क्या हुए बदलाव
By अनिल शर्मा | Updated: March 25, 2022 07:17 IST2022-03-25T07:13:04+5:302022-03-25T07:17:01+5:30
विधानसभा में गुरुवार को प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन समिति की रिपोर्ट विधायक दीपक बिरुआ ने सभा पटल पर रखी। रिपोर्ट में झारखंड विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली से धारा 52 को विलोपित करने की अनुशंसा की गई थी।

झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की परंपरा खत्म, शून्यकाल की बढ़ाई गई संख्या, जानिए कार्यसंचालन-नियमावली में और क्या हुए बदलाव
रांचीः झारखंड विधानसभा ने गुरुवार को झारखंड विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली में संशोधन करते हुए राज्य विधानसभा की कार्यवाही से मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की व्यवस्था ही समाप्त कर दी। झारखंड विधानसभा में गुरुवार प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन समिति की अनुशंसा पर कार्यसंचालन नियमावली की धारा 52 को विलोपित करने का संशोधन विपक्ष के विरोध के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। जिसके बाद अब राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की व्यवस्था इतिहास बन गयी।
विधानसभा में आज प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन समिति की रिपोर्ट विधायक दीपक बिरुआ ने सभा पटल पर रखी। रिपोर्ट में झारखंड विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली से धारा 52 को विलोपित करने की अनुशंसा की गई थी। नियमावली की धारा 52 में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल का प्रावधान था। इस संशोधन के पारित होने के बाद अब झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल नहीं होगा। इसके अलावा नियमावली में शून्यकाल की संख्या 15 से बढ़ाकर 25 करने का प्रावधान भी किया गया है। इसके अतिरिक्त विधानसभा में प्रश्नकाल को लेकर भी नियमावली में संशोधन किया गया है जिसके तहत अब 14 दिन पहले प्रश्न डालने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया।
इससे पहले विधानसभाध्यक्ष ने 14 मार्च तक नियम समिति की अनुशंसा पर विधायकों से संशोधन प्रस्ताव मांगा था जिसके जवाब में अनेक विधायकों ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को विलोपित नहीं करने का प्रस्ताव दिया था। विपक्ष के साथ - साथ सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने भी मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को नहीं हटाने का संशोधन प्रस्ताव सभा सचिवालय को दिया था। वामपंथी माले विधायक विनोद सिंह ने यह मामला उठाया कि नियम समिति की रिपोर्ट को सदन से पारित कराने से पहले विधायकों के द्वारा जो संशोधन दिया गया है उसे भी सभा पटल पर रखना चाहिए लेकिन उनके सुझाव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। आज पारित नये संशोधनों के तहत अब दल बदल मामले में आम नागरिक भी अपने विधायक के खिलाफ विधानसभाध्यक्ष के न्यायाधिकरण के समक्ष याचिका दायर कर सकते हैं।