नई दिल्ली, 27 जून: झारखंड के खूंटी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद करिया मुंडा के घर पर तैनात तीन पुलिसकर्मियों का मंगलवार (26 जून) को अपहरण कर लिया गया है। तीनों पुलिसकर्मियों का अपहरण पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा किया गया है। पुलिस ने अपहरण के बाद से इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। पत्थलगड़ी एक ऐसी मुहिम है, जिसमें पत्थलगड़ी समर्थक किसी भी इलाके में पत्थर लगाकर अपने अधिकार का ऐलान कर देते हैं।
बीजेपी सांसद करिया मुंडा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है- 'इसमें कोई शक नहीं है कि इस घटना के पीछे 'पत्थलगड़ी' समुदाय के लोगों का हाथ है। वो यहां किसी को ढूंढने आए थे। उनका मकसद पुलिस प्रशासन को कमजोर कर अपना नियम स्थापित करना है।'
क्या और कौन है पत्थलगड़ी
पत्थलगड़ी मुंडा आदिवासी समाज की एक पुरानी परंपरा है। पत्थलगड़ी हजारों साल पुरानी पंरपरा है। जिसका मतलब होता है, किसी पत्थर पर जानकारी लिखी हो। पत्थलगड़ी में मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी दर्ज रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरने के बाद की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। झारखंड में खूंटी समेत कुछ आदिवासी बहुल इलाकों में पत्थलगड़ी की प्रथा आदिवासी नेताओं द्वारा चलाई जा रही है। उनके अनुसार, ग्राम सभा ही उनकी सर्वोच्च संस्था होती है। वो सरकार के किसी भी नियमों को नहीं मानते हैं। उनका नियम ही सबसे ऊपर होता है। जिस भी इलाके में ये लोग होते हैं, वहां के जंगलों में और गांव में किसी भी बाहरी इंसान को आने की इजाजत नहीं होती है। अपनी बात और अपने नियम के लिए वो लोग बड़े-बड़े पत्थरों पर अपने नियमों को लिखकर गाड़ते हैं। इसी प्रथा को पत्थलगड़ी कहते हैं।
पिछले एक हफ्ते से पत्थलगड़ी शब्द चर्चा में है। बता दें कि 19 जून को झारखंड के खूंटी में ही पांच लड़कियों के साथ बंदूक के नोंक पर गैंगरेप किया गया था। गैंगरेप के दो मुख्य आरोपी उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के सदस्य होने के साथ ही पत्थलगड़ी मूवमेंट चलाते हैं।
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