झारखंड: तीन साल में 156 की जेल तो 10 की पुलिस हिरासत में मौत, सरकार ने विधानसभा में दी जानकारी
By विशाल कुमार | Updated: March 8, 2022 07:18 IST2022-03-08T07:14:55+5:302022-03-08T07:18:13+5:30
विधानसभा में पेश आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21 में हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या क्रमशः 67, 45, 54 थी। वर्ष 2021-22 के आंकड़ों का उल्लेख नहीं किया गया।

झारखंड: तीन साल में 156 की जेल तो 10 की पुलिस हिरासत में मौत, सरकार ने विधानसभा में दी जानकारी
रांची: पिछले तीन सालों में झारखंड में हिरासत में 166 मौतें दर्ज की गईं जिसमें से 156 जेलों में और 10 पुलिस हिरासत में हुईं। यह आंकड़ा सोमवार को गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से विधानसभा में पेश किया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में पेश आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21 में हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या क्रमशः 67, 45, 54 थी। वर्ष 2021-22 के आंकड़ों का उल्लेख नहीं किया गया।
यह पहली बार है जब राज्य सरकार द्वारा हिरासत में हुई मौतों के आंकड़े आधिकारिक तौर पर जारी किए गए हैं।
इस तरह की मौतों को रोकने के लिए सरकार की योजना पर भाकपा (माले) विधायक विनोद सिंह के एक सवाल के जवाब में, विभाग के एक संयुक्त सचिव ने कहा कि अगर पुलिस या जेल अधिकारियों की ओर से लापरवाही पाई जाती है, तो पीड़ित के परिवार को मुआवजा दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि हर बार मौत होने पर जांच की कार्रवाई शुरू की जाती है। और अगर मौत संदिग्ध है, तो न्यायिक या प्रशासनिक स्तर पर जांच की जाती है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आगे की जांच के लिए एनएचआरसी को भेज दी जाती है। हालांकि रिपोर्ट में हिरासत में मौत का कारण नहीं बताया गया है।
विनोद सिंह ने इस साल फरवरी में साहिबगंज जिले में पुलिस हिरासत में 35 वर्षीय देबू तुरी की मौत के संबंध में सवाल पूछा गया था। हालांकि, चोरी के संदिग्ध तुरी की मौत ऊपर बताए गए आंकड़ों का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसने विधानसभा में हंगामा खड़ा कर दिया।