जानिए कौन थीं झलकारी बाई, जिनकी आज भी सुनाई जाती हैं वीरगाथाएं

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 22, 2018 07:34 IST2018-11-22T07:34:47+5:302018-11-22T07:34:47+5:30

Jhalkari Bai Birth Anniversary: वीरांगना झलकारी बाई का जन्म 22 नवंवर 1830 को एक कोली परिवार में हुआ था। उनके बारे में कहा जाता है कि वह बहुत गरीब परिवार से थीं। उनके गांव का नाम भोजला था, जोकि झांसी के पास था।

jhalkari bai birth anniversary: know about her history and biography | जानिए कौन थीं झलकारी बाई, जिनकी आज भी सुनाई जाती हैं वीरगाथाएं

जानिए कौन थीं झलकारी बाई, जिनकी आज भी सुनाई जाती हैं वीरगाथाएं

अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अपनी जानें कुर्बान कर दीं। उनकी हर कोशिश को विफल करने में न केवल पुरुषों का योगदान रहा, बल्कि महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इन्हीं में से एक हैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति रहीं झलकारी बाई। जिनकी बहादुरी की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जाती है। ऐसी वीरांगना का आज जयंती है। 

वीरांगना झलकारी बाई का जन्म 22 नवंवर 1830 को एक कोली परिवार में हुआ था। उनके बारे में कहा जाता है कि वह बहुत गरीब परिवार से थीं। उनके गांव का नाम भोजला था, जोकि झांसी के पास था। उनके पिता का नाम सदोवर सिंह और माता का नाम जमुना देवी था। 

बताया जाता है कि झलकारी बाई के ऊपर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब वह छोटी थीं। उनके बचपन में ही उनकी मां गुजर गई थीं, जिसके बाद उनके पिता के ऊपर बेटी को पालने की जिम्मेदारी आ गई थी और उन्होंने ही बेटी का भरण-पोषण किया। साथ ही साथ घुड़सवारी सिखाई और हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षित दिया। 

हालांकि उनके बारे में कहा जाता है कि घुड़सवारी और हथियारों के इस्तेमाल के अलावा वह कोई औपचारिक शिक्षा हासिल नहीं कर सकी थीं, लेकिन उन्होंने एक योद्धा के तौर पर अपने आप को पूरी तैरह तैयार कर लिया था। इसके अलावा वह बचपन में घर का काम निपटाकर पशुओं के रखरखाव पर भी ध्यान देती थी। साथ ही साथ जंगलों से लकड़ियां भी इकट्ठा करने जाती थीं।

बताया जाता है कि झलकारी बाई शक्ल लक्ष्मीबाई से मिलती जुलती थी। इस कारण अंग्रेज भ्रमित हो जाते थे और वह अक्सर शत्रुओं को धोखा देने के लिए रानी लक्ष्मीबाई के वेश में युद्ध के मैदान में उतरती थीं। साल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अग्रेंजी सेना से रानी लक्ष्मीबाई के घिर जाने पर झलकारी बाई ने बड़ी सूझबूझ, स्वामीभक्ति और राष्ट्रीयता का परिचय दिया था। 

झलकारी बाई ने अपने अंतिम समय में रानी के वेश में युद्ध किया था, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया था। हालांकि वह रानी लक्ष्मीबाई को किले से भाग निकालने में कामयाब हो गई थीं। झलकारी बाई के सम्मान में भारत सरकार ने 22 जुलाई, 2001 को डाक टिकट भी जारी किया। 

Web Title: jhalkari bai birth anniversary: know about her history and biography

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