नहीं रहे झारखंड के गांधी, 7वीं पास थे लेकिन दिल्ली तक थी पकड़, बस कंडक्टर के लिए गिरा दी थी सरकार
By पल्लवी कुमारी | Published: June 23, 2018 03:55 PM2018-06-23T15:55:38+5:302018-06-23T15:55:38+5:30
बागुन सुंबरुई झारखंड के गांधी कहलाते थे। उन्होंने पूरी जिंदगी आधे शरीर पर कपड़ा पहना और आधे पर नहीं। वो सिर्फ एक घोती पहनते थे। वह गांधी की तरह सादा जीवन और उच्च विचार रखने में विश्वास करते थे।
रांची, 23 जून: झारखंड के गांधी कहे जाने वाले कांग्रेस नेता बागुन सुंबरुई का निधन हो गया है। जमशेदपुर के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में शुक्रवार (22 जून) को उनकी मौत हुई। सुंबरुई को ब्रेन स्ट्रोक और पैरालिलिस अटैक के बाद 2 मई को भर्ती कराया गया था। ये अपने राजनीति करियर में पांच बार सांसद, चार बार विधायक, पांच बार मुखिया रह चुके थे। बागुन सुंबरुई झारखंड के गांधी कहलाते थे। उन्होंने पूरी जिंदगी आधे शरीर पर कपड़ा पहना और आधे पर नहीं। वो सिर्फ एक घोती पहनते थे। वह गांधी की तरह सादा जीवन और उच्च विचार रखने में विश्वास करते थे।
शुक्रवार ( 22 जून) की शाम 6:12 बजे सीसीयू के डॉ आसिफ ने पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन की पुष्टि की। उनके पार्थिव शरीर को टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है और शनिवार को चाईबासा में अंतिम संस्कार किया जाएगा। बागुन सुंबरुई के पार्थिव शरीर को जमशेदपुर से सड़क मार्ग से सरायकेला होते हुए चाईबासा जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे पूर्व तिलक पुस्तकालय में उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी।
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बागुन सुंबरुई के निधन को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि बागुन सुंबरुई के निधन पर प्रदेश व कोल्हान कांग्रेस कार्यालयों में शोक मनाया जाएगा।
सुंबरुई का जन्म 24 फरवरी 1924 को चाईबासा के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन किया था। वैसे उनका राजनीतिक सफर झारखंड पार्टी से 1967 से शुरू हुआ था। आदिवासी समुदाय में झारखंड डायन प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध भी किया करते थे। उन्होंने इन कुरीतियों के खिलाफ समाज में काफी प्रचार किया।
बागुन सुंबरुई ने सिर्फ सातवीं तक ही पढ़े-लिखे थे लेकिन कई भाषाओं पर उनकी काफी अच्छी पकड़ थी। हिंदी के अलावा संथाली, बांग्ला, ओड़िया अंग्रेजी के वो अच्छे जानकार थे। बागुन सुंबरुई के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 58 शादिया की थी। हर चुनाव जीतने के बाद एक शादी करते थे। उनके पांच बच्चे थे। उनके सबसे बड़े बेटे मस्तान की मौत हो चुकी है। कहा जाता है कि उन्होंने कई बार ऐसा बताया है कि वह खुद राहुल गांधी को अपनी गोद में खेला चुके हैं।
स्थानीय मीडियो रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने एक बस कंडक्टर के लिए पूरी सरकार गिरा दी थी। बात उन दिनों की है जब तत्कालीन बिहार में दारोगा प्रसाद राय की सरकार थी जो झारखंड पार्टी के 11 विधायकों की बैसाखी पर चल रही थी। दारोगा राय 16 फरवरी 1970 को सीएम बने थे। इन्ही के सरकार के दौरान बिहार राज्य पथ परिवहन में काम करनेवाले एक आदिवासी कर्मचारी को निलबिंत कर दिया गया था। जब सुंबरुई को इस बात की सूचना मिली तो वह सीधे सीएम दरोगा प्रसाद के पास इस बारे में बात की लेकिन इसके बाद भी जब सीएम ने इस बात को अनसूना कर दिया तो बागुन सुंबरुई ने दरोगा प्रसाद राय की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद 22 दिसंबर 1970 को कर्पूरी ठाकुर की सरकार बनी और उसमें सुंबरुई को परिवहन के साथ-साथ वन कल्याण मंत्री बनाया गया। मंत्री बनते ही उन्होंने कंडक्टर का निलंबन वापस ले लिया था।
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