जम्मू कश्मीर: अल्पसंख्यकों से खाली होने लगी कश्मीर घाटी, 10 हजार ने घर छोड़ा

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 10, 2021 03:08 PM2021-10-10T15:08:43+5:302021-10-10T15:13:48+5:30

सरकार इसे पलायन नहीं मानती है बल्कि कहती है कि उन्होंने उन कश्मीरी पंडित परिवारों को 10 दिनों की छुट्टी दी है जो सरकारी नौकरी के बदले में कश्मीर लौटने को तैयार हुए थे। पर जम्मू वापस आने वाले और जम्मू में शरण लेने वाले इन कश्मीरी पंडित परिवारों का कहना था कि वे अब कश्मीर वापस नहीं लौटेंगें।

jammu kashmir valley 10 thousand minorities leaves home | जम्मू कश्मीर: अल्पसंख्यकों से खाली होने लगी कश्मीर घाटी, 10 हजार ने घर छोड़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Highlightsतकरीबन 10 हजार अल्पसंख्यकों ने कश्मीर को छोड़ दिया है।सरकार इसे पलायन नहीं मानती है।कश्मीर से भाग निकलने वालों में 3500 के करीब प्रवासी नागरिक भी हैं।

जम्मू: सात दिनों के भीतर चार हिंदुओं और सिखों की हत्या के बाद अल्पसंख्यकों से कश्मीर खाली होने लगा है। इस अवधि में तकरीबन 10 हजार अल्पसंख्यकों ने कश्मीर को छोड़ दिया है। 

आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि कश्मीर को अल्पसंख्यकों से खाली करवाने की मुहिम में नया आतंकी गुट 'गिलानी फोर्स' भी मैदान में कूद गया है।

हालांकि सरकार इसे पलायन नहीं मानती है बल्कि कहती है कि उन्होंने उन कश्मीरी पंडित परिवारों को 10 दिनों की छुट्टी दी है जो सरकारी नौकरी के बदले में कश्मीर लौटने को तैयार हुए थे।

पर जम्मू वापस आने वाले और जम्मू में शरण लेने वाले इन कश्मीरी पंडित परिवारों का कहना था कि वे अब कश्मीर वापस नहीं लौटेंगें। ऐसे कश्मीरी पंडितों की संख्या 3200 के करीब बताई जा रही है।

सिर्फ कश्मीरी पंडित ही नहीं तीन दिनों के भीतर कश्मीर से भाग निकलने वालों में 3500 के करीब प्रवासी नागरिक भी हैं। अन्य प्रवासी नागरिक वाहनों की अनुपलब्धता के कारण अभी वहीं रूके हुए हैं।

हालांकि जिन स्थानों पर प्रवासी नागरिक कार्यरत हैं वहां के मालिक भी उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं दे पा रहे हैं जिस कारण 'नया कश्मीर' की चाह में सपनों को टूटता देखना अब उनका नसीब बन गया है।

सबसे बड़ी दिक्कत कश्मीरी सिख परिवारों और 1990 के दशक से ही कश्मीर में टिके हुए कश्मीरी पंडित परिवारों की है। प्रिंसिपल सुतिन्द्र कौर की हत्या के बाद सिख समुदाय डरा हुआ तो नहीं है पर उन्हें धमकियां जरूर मिल रही हैं। 

प्रदेश प्रशासन ने कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों को 10 दिनों का अवकाश तो दिया पर सिख कर्मचारियों के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं किए जाने से कश्मीर के राजनीतिज्ञ जरूर नाराज हैं।

इतना जरूर था कि प्रशासन द्वारा 'दरबार मूव' के सचिवालय के कुछ मूव कार्यालयों के साथ कश्मीर जाने वाले जम्मू के कर्मचारियों को भी जल्द जम्मू लौट जाने के लिए कहा गया है। इससे भी साबित होता था कि कश्मीर में खतरा कितना बड़ा है।

Web Title: jammu kashmir valley 10 thousand minorities leaves home

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