जम्मू कश्मीरः सीजफायर की छांव में भी बेखौफ पड़े वोट, सरहद पार लोकतंत्र का जश्न देखते रहे लोग
By सुरेश डुग्गर | Published: April 12, 2019 12:30 AM2019-04-12T00:30:54+5:302019-04-12T00:30:54+5:30
सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाताओं को बेखौफ होकर मतदान करते हुए देखा गया जो इस बार सीजफायर के जारी रहने से उनका उत्साह बढ़ा हुआ था।
भारत-पाक सीमा के गांवों से (जम्मू फ्रंटियर), 11 अप्रैलः पाकिस्तान से सटी 264 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर व 814 किमी लम्बी एलओसी पर पिछले 15 साल से जारी सीजफायर का सही रूप आज देखने को मिला था। आज सीमा क्षेत्रों में अजीब सी खामोशी तथा निस्तब्दता थी। लेकिन इस खामोशी को पाक सेना की गोलियों के स्वर नहीं तोड़ते थे बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के दौरान मतदान करने वाले भारतीय लोग और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हिस्सा लेने के लिए आए लोगों को देखती हुई पाकिस्तानी जनता का शोर तोड़ता था। पाकिस्तानी जनता की भीड़ कई स्थानों पर सीमा के उस पार पाकिस्तानी रेंजरों की निगरानी में इस प्रक्रिया को देख रही थी।
रणवीर सिंह पुरा, रामगढ़, सांबा आदि के सीमावर्ती गांवों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे मतदान केंद्रों पर इस बार खौफ और तनाव नहीं था लेकिन बावजूद इसके कि शत्रु पर भरोसा नहीं किया जा सकता था की सोच रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे।
हालांकि सीमावर्ती खेत खाली थे क्योंकि कड़ी धूप में भी लोग मतदान केंद्रों की ओर जाने के इच्छुक थे परतंु कईयों को उस समय निराश ही लौटना पड़ता था जब वे मतदाता सूचियों में अपना नाम नहीं पाते थे। बिशनाह में सबसे अधिक समस्या यही थी कि लोगों के नाम मतदाता सूचियों में नहीं थे और हिन्दी व उर्दू की मतदाता सूचियां आपस में मेल नहीं खाती थीं। ‘लोगों में साक्षरता कम होने तथा मतदाता सूचियों में नाम न होने से मतदान धीमा हो रहा है,’बिशनाह के मतदान केंद्र संख्या 11 के पीठासीन अधिकारी का कहना था।
सीमा पर बीएसएफ के जवान लगातार गश्त किए जा रहे थे क्योंकि सामने सीमा पार पाक रेंजरों की गतिविधियों पर नजर रखना आवश्यक था। ’सिर्फ सीमा पर ही नहीं बल्कि शहरों तथा अन्य गांवों में भी इन चुनावों के लिए तगड़ा सुरक्षा बंदोबस्त किया गया था। ऐसा बंदोबस्त पहली बार देखने को इसलिए मिला था क्योंकि आतंकी चुनाव प्रक्रिया को तहस नहस करना चाहते थे। स्थान-स्थान पर वाहनों की जांच, सवारियों को वाहनों से उतर कर जांच प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ रहा था। जबकि मजेदार बात यह रही, गांवों में किए गए सुरक्षा बंदोबस्त की कि कुछेक गांवों में मतदान का प्रतिशत कम होने से जवान आराम से सुस्ता रहे थे।
सुरक्षाबलों तथा सुरक्षा एजेंसियों का अधिक ध्यान और जोर सीमावर्ती क्षेत्रों में ही था क्योंकि वे आशंकित थे कि घुसपैठियों को इस ओर धकेल कर पाकिस्तान चुनावों को क्षति पहुंचा सकता है। यही कारण था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवेश के दौरान पत्रकारों को भी अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाताओं को बेखौफ होकर मतदान करते हुए देखा गया जो इस बार सीजफायर के जारी रहने से उनका उत्साह बढ़ा हुआ था।