जम्मू कश्मीर में ‘प्रलय के दिन’ की उल्टी गिनती शुरू
By सुरेश डुग्गर | Published: August 12, 2018 11:11 AM2018-08-12T11:11:53+5:302018-08-12T11:11:53+5:30
स्वतंत्रता दिवस को लेकर कश्मीर में जारी कशमकश के बीच आतंकी और अलगाववादी गुटों ने स्कूली बच्चों से कहा है कि वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में शिरकत न करें।
श्रीनगर, 12 अगस्त:स्वतंत्रता दिवस को कश्मीर में प्रलय के दिन के रूप में लिया जा रहा है। उसकी उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। हालत यह है कि 15 अगस्त को लेकर कहीं आतंकवादियों की दहशत और कहीं सुरक्षाबलों के तलाशी अभियानों से लोग परेशान हो गए हैं।
स्वतंत्रता दिवस को लेकर कश्मीर में जारी कशमकश के बीच आतंकी और अलगाववादी गुटों ने स्कूली बच्चों से कहा है कि वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में शिरकत न करें। इसके लिए स्कूल के प्रबंधकों को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है। जबकि सुरक्षाबलों ने स्वतंत्रता दिवस को घटनारहित बनाने की जो कवायद छेड़ी है उसमें उन्होंने आतंकियों को भगा देने की मुहिम छेड़ कर तलाशी अभियानों को तेज कर दिया है।
आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन और अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी ने फिर स्वतंत्रता दिवस पर कश्मीर बंद का आह्वान किया है। उन्होंने बच्चों से भी सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार करने को कहा। श्रीनगर में गिलानी ने कहा कि भारत एक लोकतंत्रिक देश है। 15 अगस्त को हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाता है, लेकिन जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो यहां के लोगों को छह दशकों से उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग न तो भारत के खिलाफ हैं और न ही वहां पर रहने वाले लोगों के। यही नहीं वह स्वतंत्रता दिवस के खिलाफ भी नहीं है।
आतंकवादियों की दहशत के कारण आतंकवादग्रस्त दूरस्थ दुर्गम इलाकों से कई उन गांवों के लोगों ने अस्थाई तौर पर पलायन किया है जिन्हें आतंकवादियों ने पोस्टर लगा कर 15 अगस्त की बजाय 14 अगस्त को आजादी का दिन मनाने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल इस मामले को सभी द्वारा छुपाया जा रहा है। बताया जाता है कि हिज्बुल मुजाहिदीन तथा लश्करे तौयबा के आतंकियों की ओर से धमकी भरे पोस्टर लगा कर लोगों को 15 अगस्त मनाने से मना करते हुए 14 अगस्त को जश्ने आजादी मनाने के लिए कहा गया है। 14 अगस्त पाकिस्तान की आजादी का दिन होता है।
ऐसे ही पोस्टर कश्मीर वादी के अतिरिक्त जम्मू संभाग में भी दिखे हैं। नतीजतन जहां जहां 15 अगस्त को न मनाने तथा 14 अगस्त मनाने की धमकियां आतंकियों की ओर से जारी हुई हैं वहां दहशत के माहौल ने लोगों ने पलायन की धमकी दी है।
दहशत का क्रम यहीं खत्म नहीं हो जाता है। 15 अगस्त को लेकर जो दहशत आतंकवादियों द्वारा फैलाई जा रही है उसका परिणाम है कि सुरक्षाबल भी जबरदस्त दहशत मंे हैं। यही कारण है कि वे इस दहशत के चलते जिस प्रकार ताबड़तोड़ तलाशी अभियान छेड़े हुए हैं उन्होंने आम नागरिकों का जीना मुहाल कर दिया है।
पिछले कई दिनों से कश्मीरियों को गहन तलाशी अभियानों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। लम्बी लम्बी कतारों में खड़े कश्मीरियों को तलाशी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। हालत यह है कि कई स्थानों पर सुरक्षाकर्मी राहगीरों से एक-दूसरे की तलाशी लेने पर जोर इसलिए डालते थे क्योंकि उन्हंे डर है कि कहीं कोई मानव बम न हो और वह फूट न जाए।
कश्मीरियों के लिए स्वतंत्रता दिवस किसी प्रलय दिवस से कम नहीं है। उनके लिए सुरक्षाकर्मियों के तलाशी अभियान किसी प्रलय से कम नहीं लग रहे हैं। एक सुरक्षाधिकारी का कहना थाः‘हम तलाशी अभियान छेड़ने पर मजबूर हैं क्योंकि आतंकी खतरा बहुत ज्यादा है इस बार।’
सबसे बुरी स्थिति शेरे कश्मीर स्टेडियम के आसपास के इलाकों में रहने वालों की है। बार-बार के तलाशी अभियानों से तंग आकर लोगों ने अपने घरों का अस्थाई तौर पर त्याग कर दिया है। कई मुहल्लों को सुरक्षाबलों ने खतरे के नाम पर आप ही खाली करवा लिया है।
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