जम्मू -कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को अपने द्वारा भ्रष्ट नेताओं पर दिए बयान को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा 'संवैधानिक पद पर होते हुए मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।
राज्यपाल मलिक ने कहा 'मैं मानता हूं कि जो मेरी जिम्मेदारी, पद है उस पर ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए थी। लेकिन यहां चल बढ़ रहे भ्रष्टाचार के कारण गुस्से और हताश में यह बात निकल गई।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, 'राज्यपाल होते हुए मुझे यह नहीं कहना चाहिए था लेकिन मेरी व्यक्तिगत भावना ऐसी ही है। यहां कई राजनीतिक नेता और बड़े नौकरशाह भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।'
राज्यपाल की इस टिप्पणी पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मलिक को दिल्ली में अपनी प्रतिष्ठा की पड़ताल करनी चाहिए। अब्दुल्ला ने ट्वीट किया 'यह शख्स जो जाहिर तौर पर एक जिम्मेदार संवैधानिक पद पर काबिज है और वह आतंकवादियों को भ्रष्ट समझे जाने वाले नेताओं की हत्या के लिये कह रहा है।'
बाद में, नेकां नेता ने कहा 'इस ट्वीट को सहेज लें- आज के बाद जम्मू-कश्मीर में मारे गये किसी भी मुख्यधारा के नेता या सेवारत/सेवानिवृत्त नौकरशाह की अगर हत्या होती है तो समझा जायेगा कि यह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आदेशों पर की गयी है।'
राज्य कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने पूछा 'क्या वह जंगल राज को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं?' उन्होंने कहा कि मलिक जिस संवैधानिक पद पर हैं, उनका यह बयान उसकी गरिमा के खिलाफ है।
हालांकि राज्यपाल ने फौरन यह भी कहा कि हथियार उठाना कभी भी किसी समस्या का हल नहीं हो सकता और उन्होंने श्रीलंका में लिट्टे का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा 'भारत सरकार कभी हथियार के आगे घुटने नहीं टेकेगी।'
उन्होंने आतंकवादियों से हिंसा का रास्ता नहीं अपनाने को कहा। उन्होंने मुख्यधारा के नेताओं पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि ये नेता दिल्ली में अलग भाषा बोलते हैं और कश्मीर में कुछ और बोलते हैं।