Jammu-Kashmir Flood: कश्मीर में बाढ़ का प्रकोप जारी, किसानों की फसलें बर्बाद
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 6, 2025 10:14 IST2025-09-06T10:14:05+5:302025-09-06T10:14:34+5:30
Jammu-Kashmir Flood:अधिकारियों के अनुसार, विनाश की व्यापकता पर एक रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपी जाएगी और उसके बाद मुआवज़ा योजनाओं पर चर्चा की जाएगी।

Jammu-Kashmir Flood: कश्मीर में बाढ़ का प्रकोप जारी, किसानों की फसलें बर्बाद
Jammu-Kashmir Flood: कश्मीर में हाल ही में आई बाढ़ ने कृषि भूमि, फसलों और बागवानी उत्पादों को भारी नुकसान पहुँचाया है, जिससे स्थानीय किसान तबाह हो गए हैं। जानकारी के अनुसार, बढ़ते पानी ने कई एकड़ धान के खेत, फलों के बाग और अन्य ज़रूरी फसलें जलमग्न कर दी हैं। बाढ़ के पानी ने कई ढाँचों को भी नुकसान पहुँचाया है, जिससे उन परिवारों के लिए नुकसान और बढ़ गया है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है।
कई किसानों ने विनाश की भयावहता का वर्णन किया है, और कई ने अपनी फसलों और अपने परिवारों के अस्तित्व के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की है।
अवंतीपोरा क्षेत्र के एक किसान गुलाम मोहम्मद कहते थे कि हमारे खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। यह बाढ़ पिछले एक दशक में देखी गई किसी भी बाढ़ से भी बदतर है। धान की फसल, जो लगभग कटाई के लिए तैयार थी, बह गई है। सारी मेहनत बर्बाद हो गई है।
घाटी की सबसे मूल्यवान कृषि संपत्तियों में से एक, सेब के बागों सहित बागवानी फसलों को भी नुकसान पहुँचा है, जो बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अनंतनाग के एक बाग मालिक शब्बीर अहमद ने दुख जताते हुए बताया कि सेब पकने ही वाले थे कि अब वे नष्ट हो गए। हमारे पेड़ भीग गए हैं और कई फल गिर गए हैं। यह पूरी तरह से बर्बादी है।
जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम हो रहा है, तबाही का पूरा रूप और स्पष्ट होता जा रहा है। प्रभावित परिवार अब तत्काल मुआवज़े की माँग कर रहे हैं और कुछ लोग इसकी तुलना 2014 की विनाशकारी बाढ़ से कर रहे हैं, जिसने इसी तरह क्षेत्र के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था।
याद रहे वष्र 2014 में, जम्मू कश्मीर सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता और मुआवज़ा प्रदान किया था। किसान और निवासी अब सरकार से इसी तरह के कदम उठाने का आग्रह कर रहे हैं।
बाढ़ ने पुलवामा, कुलगाम और शोपियां के सेब के बाग पूरी तरह नष्ट कर दिए हैं। किसानों की आजीविका संकट में है। सरकार और प्रशासन से तुरंत राहत और मदद की मांग है!pic.twitter.com/jsDQ0CQqC0
— Tribal Army (@TribalArmy) September 3, 2025
एक स्थानीय किसान महमूद अली का कहना था कि 2014 में, सरकार ने हमें मुआवजा और राहत देने का वादा किया था। हम एक बार फिर उसी मदद की माँग कर रहे हैं। अगर सरकार तब हमारी मदद कर सकती थी, तो अब ऐसा न करने का कोई कारण नहीं है।
वैसे स्थानीय प्रशासन घाटी में हुए नुकसान का आकलन करने में जुट गया है। अधिकारियों के अनुसार, विनाश की व्यापकता पर एक रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपी जाएगी और उसके बाद मुआवज़ा योजनाओं पर चर्चा की जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम नुकसान के बारे में सभी आवश्यक जानकारी एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं। वे कहते थे कि एक बार आकलन पूरा हो जाने के बाद, हम सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे और उसके अनुसार राहत उपाय लागू किए जाएँगे।