उप राज्यपाल के फैसले को पलटा जाएगा?, कैबिनेट मंत्री जावेद अहमद राणा ने कहा-दरबार मूव की परंपरा बहाल करेंगे
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 23, 2025 15:53 IST2025-08-23T15:51:58+5:302025-08-23T15:53:30+5:30
कैबिनेट की चर्चाओं को हमेशा सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जा सकता, लेकिन हां, ये बैठकें महत्वपूर्ण निर्णयों पर केंद्रित होती हैं।

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जम्मूः उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर सरकार में कैबिनेट मंत्री जावेद अहमद राणा ने शनिवार को कहा कि इस साल ऐतिहासिक ‘दरबार मूव’ परंपरा फिर से बहाल की जाएगी। राणा ने पत्रकारों को बताया कि ष्इस साल हम दरबार मूव की परंपरा बहाल करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या शुक्रवार की कैबिनेट बैठक में श्रीनगर में सितंबर के मध्य में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र पर चर्चा हुई, मंत्री ने कहा कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। कैबिनेट की चर्चाओं को हमेशा सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जा सकता, लेकिन हां, ये बैठकें महत्वपूर्ण निर्णयों पर केंद्रित होती हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि 1872 में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा शुरू की गई दरबार मूव एक अर्धवार्षिक प्रथा थी जिसके तहत सिविल सचिवालय और अन्य कार्यालय गर्मियों में श्रीनगर में और सर्दियों में जम्मू में काम करते थे। उपराज्यपाल ने 2021 में सरकारी खजाने में लगभग 200 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत का हवाला देते हुए इस प्रथा को समाप्त कर दिया था।
हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लगातार इस परंपरा को बहाल करने का संकल्प लिया है। जानकारी के लिए पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि दरबार मूव को बहाल किया जाएगा। जम्मू का अपना महत्व है और हम इसकी विशिष्टता को कम नहीं होने देंगे।
उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भी इस कदम का समर्थन किया था और जम्मू की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि दरबार मूव ने होटलों, परिवहन और स्थानीय उद्योगों के लिए व्यवसाय उत्पन्न करके रोजगार और आजीविका को बढ़ावा दिया। हालांकि केवल सरकारी नौकरियां सभी की रोजगार की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती थीं।
लेकिन इस परंपरा ने वैकल्पिक अवसर पैदा किए। उन्होंने आगे जोर देकर कहा था कि यह प्रथा मूल रूप से डोगरा महाराजाओं द्वारा जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के बीच आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए शुरू की गई थी। उन्होंने आगे कहा था कि हमारी सरकार इस विरासत का सम्मान करती है और अपने लोगों की समृद्धि के लिए इसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘दरबार मूव’ की परंपरा को वर्ष 2021 से ‘बंद’ किया जा चुका है, उसके प्रति सच्चाई यह है कि यह गैर सरकारी तौर पर लगभग 500 कर्मियों के साथ फिलहाल जारी है। ये कर्मी पिछले 4 सालों से उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और वित्त विभाग के वित्त आयुक्त, सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव तथा पुलिस महानिदेशक के कार्यालयों में लिप्त कर्मी हैं जो दोनों राजधानियों में आ-जा रहे थे।
जम्मू में मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के साथ ही उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का दरबार सजाने के लिए नागरिक सचिवालय से लेकर राजभवन में साज सज्जा व मरम्मत कार्य कर बार मार्च और अक्तूबर में शुरू हो जाता है। इतना जरूर था कि ‘दरबार मूव’ की परंपरा को बंद करने का समर्थन मात्र मुट्ठीभर उन लोगों द्वारा ही किया गया था जो एक राजनीतिक दल विशेष से जुड़े हुए हैं जबकि जम्मू का व्यापारी वर्ग इससे दुखी इसलिए है क्योंकि इतने सालों से कश्मीर से दरबार के साथ सर्दियों मंे जम्मू आने वाले लाखों लोगों पर उनका व्यापार निर्भर रहता था। जो अब उनसे छिन चुका है।