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अनुच्छेद 370ः पीडीपी नेता अशरफ और रफीक मीर रिहा, 5 अगस्त से नजरबंद थे, जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व सीएम अभी भी नजरबंद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 3, 2020 17:57 IST

अधिकारियों ने बताया कि करीब 34 राजनीतिक बंदियों को डल झील किनारे स्थित होटल से हॉस्टल ले जाया गया था। श्रीनगर में कड़ाके की ठंड की परिस्थितियों और होटल में तापमान नियंत्रित करने वाले उपयुक्त उपकरणों के अभाव के मद्देनजर ऐसा किया गया।

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ठळक मुद्देतीन पूर्व मुख्यमंत्रियों-- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद रखा गया।फारूक पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) की धाराएं लगाई गई हैं।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सोनवार (श्रीनगर) के पीडीपी नेता पूर्व विधायक अशरफ मीर और पूर्व विधायक रफीक मीर को रिहा कर दिया, जो पिछले साल 5 अगस्त से नजरबंद थे। अनुच्छेद 370 लगने के बाद ये नजरबंद थे।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को पीडीपी के दो नेताओं को रिहा कर दिया जिन्हें पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद से एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पीडीपी के दो नेताओं - अशरफ मीर एवं रफीक मीर- के घरों के बाहर से पुलिस का पहरा शुक्रवार सुबह हटा लिया गया और अब दोनों नेता अपनी दैनिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। अशरफ को पहले विधायक हॉस्टल में रखा गया था और बाद में उन्हें उनके घर में एहतियातन नजरबंद किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद से रफीक हिरासत में थे। रफीक उन दर्जनों राजनीतिक हिरासतियों में शामिल थे जिन्हें सेंटूर होटल में रखा गया था।

इससे पहले भी  जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पिछले 148 दिनों से एहतियातन हिरासत में रखे गए पांच राजनीतिक नेताओं को एमएलए हॉस्टल से रिहा कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं को रिहा किया गया है।

अधिकारी इस बात को लेकर आश्वस्त हुए कि वे लोग अपनी रिहाई के बाद किसी आंदोलन में शामिल नहीं होंगे, ना ही कोई हड़ताल करेंगे। रिहा किए गए इन नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस के इशफाक जब्बर और गुलाम नबी भट तथा पीडीपी के बशीर मीर, जहूर मीर और यासिर रेशी शामिल हैं।

रेशी पीडीपी के बागी नेता माने जाते हैं जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बगावत कर दी थी। बाद में रेशी को पार्टी के जिला प्रमुख पद से हटा दिया गया। नये केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने 25 नवंबर को दो नेताओं--पीडीपी के दिलावर मीर और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के गुलाम हसन मीर--को रिहा किया था। नेकां ने प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस तरह का कदम सरकार और लोगों के बीच खाई को पाटने का काम करेगा।

पार्टी के प्रांतीय प्रमुख देविन्दर सिंह राणा ने आशा जताई कि अन्य राजनीतिक बंदी भी जल्द ही रिहा किए जाएंगे। गौरतलब है कि पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी। उस दिन से कई नेताओं को उनके घरों से स्थानांतरित कर अन्यत्र ले जाया गया था। राजनीतिक बंदियों को सेंटूर होटल में रखा गया था और उन्हें नवंबर के तीसरे सप्ताह में एमएलए हॉस्टल भेज दिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि करीब 34 राजनीतिक बंदियों को डल झील किनारे स्थित होटल से हॉस्टल ले जाया गया था। श्रीनगर में कड़ाके की ठंड की परिस्थितियों और होटल में तापमान नियंत्रित करने वाले उपयुक्त उपकरणों के अभाव के मद्देनजर ऐसा किया गया।

पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों-- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद रखा गया। फारूक पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) की धाराएं लगाई गई हैं और उन्हें उनके आवास में ही रखा गया है जबकि उमर और महबूबा को शहर में अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है। फारूक पर लगाए गए पीएसए की 15 दिसंबर को समीक्षा की गई थी तथा उन्हें और 90 दिन हिरासत में रखे जाने पर सहमति बनी थी।

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