सीमा पर तनावः सियाचिन और करगिल के युद्ध मैदानों में बोफोर्स का कमाल, अब लद्दाख में चीन सीमा पर फिर होगी परीक्षा

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 8, 2020 17:51 IST2020-10-08T17:51:59+5:302020-10-08T17:51:59+5:30

करगिल युद्ध में भी ये तोपें अपना कमाल दिखा चुकी हैं और अब इन्हें लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात कर इनकी एक और परीक्षा की तैयारी है उस स्थिति में अगर दोनों मुल्कों के बीच खूरेंजी संघर्ष होता है तो। बड़ी संख्या में बोफोर्स तोपों को अब लद्दाख में एलएसी पर युद्ध की स्थिति में तैयार रखा गया है।

Jammu and Kashmir Tension border Bofors Siachen Kargil China border Ladakh tested again | सीमा पर तनावः सियाचिन और करगिल के युद्ध मैदानों में बोफोर्स का कमाल, अब लद्दाख में चीन सीमा पर फिर होगी परीक्षा

मारक क्षमता 35 से 45 किमी की दूरी और ऊंचाई तक बढ़ जाती है। (file photo)

Highlightsवायुदबाव में इसका घर्षण बहुत ही कम होने के कारण इसकी मार करने की रेंज और क्षमता बढ़ जाती है इस हिमखंड पर। विश्व के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड में सीजफायर से पहले सैनिकों के लिए ये एक अच्छी दोस्त साबित होती रही हैं। खूरेंजी संघर्ष होता है तो। बड़ी संख्या में बोफोर्स तोपों को अब लद्दाख में एलएसी पर युद्ध की स्थिति में तैयार रखा गया है।

जम्मूः भारत के राजनीतिक मोर्चे पर हालांकि विवादास्पद बोफोर्स तोपें अच्छी साबित नहीं हुई हैं लेकिन विश्व के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड में सीजफायर से पहले सैनिकों के लिए ये एक अच्छी दोस्त साबित होती रही हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि वायुदबाव में इसका घर्षण बहुत ही कम होने के कारण इसकी मार करने की रेंज और क्षमता बढ़ जाती है इस हिमखंड पर। यही नहीं करगिल युद्ध में भी ये तोपें अपना कमाल दिखा चुकी हैं और अब इन्हें लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात कर इनकी एक और परीक्षा की तैयारी है उस स्थिति में अगर दोनों मुल्कों के बीच खूरेंजी संघर्ष होता है तो। बड़ी संख्या में बोफोर्स तोपों को अब लद्दाख में एलएसी पर युद्ध की स्थिति में तैयार रखा गया है।

सियाचिन हिमखंड में तैनात रहे एक तोपखाना रेजिमेंट के अधिकारी का मत था: ‘पाक गोलाबारी के लिए बोफोर्स एक अच्छा और करारा जवाब था क्योंकि इसकी खास विशेषताओं के कारण इसकी मारक क्षमता 35 से 45 किमी की दूरी और ऊंचाई तक बढ़ जाती है और अब यही उम्मीद चीन सीमा पर भी की जा सकती है।’ हालांकि अपनी रक्षा और प्रतिरक्षा की रणनीति में भारतीय सेना बोफोर्स के अतिरिक्त अन्य कुछ हथियारों को भी अपना दोस्त इस हिमखंड पर बना चुकी है जिसमें 17 किमी से अधिक की दूरी तक मार करने वाली 105 मिमी की तोपें तो हैं जो इस क्षेत्र में 23 किमी की दूरी तक मार करती हैं।

हालांकि ऐसी तोपें अपनी अनुवृत तथा ठोस गति के कारण लक्ष्य को निशाना बनाने में कभी कभी कठिनाई पेश करती हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में सभी तोपखानों से अधिक 120 मिमी के मोर्टार का प्रयोग किया जाता है और रोचक बात इस हिमखंड के युद्धस्थल का यह है कि सीजफायर से पहले तक प्रतिदिन सैंकड़ों गोले इन हथियारों से दागे जाते रहे हैं।

अधिकारी मानते हैं कि एक समय था जब ऊंचाई वाले इलाकों में भारी तोपखानों को ले जाने का अर्थ होता था मौत को बुलावा देना। पर यह अब भारतीय वायुसेना के कारण संभव हुआ है कि फिलहाल हल्के तोपखानों के स्थान पर आजमाई हुई बोफोर्स तोपों के साथ ही भारी भरकम भीष्म और अर्जुन टैंकों को चीन सीमा पर परीक्षा के लिए उतारा जा चुका है।

रक्षा सूत्रों के बकौल, पाक सेना के खिलाफ आज भी बोफोर्स एक धारदार और खतरनाक हथियार साबित हो रहा है जो पहाड़ों के पीछे छुप कर बनाए गए पाक सेना के चौकिओं व बंकरों को लगातार उड़ा रहे हैं और एलएसी पर भी लगभग ऐसी ही स्थिति होने के कारण लंबी दूरी तक मार करने के साथ-साथ ऐसे तोपखानों की कमी को अब बोफोर्स पूरा कर देगी जो पहाड़ी इलाके में भी 35 से 40 किमी दूर बैठे दुश्मन को आसानी से निशाना बना लेगी।

इसे भूला नहीं जा सकता कि बोफोर्स ने अपनी पूरी क्षमता करगिल युद्ध के दौरान भी साबित की थी जब भारतीय सेना अचानक होने वाले इस युद्ध के दौरान पहले तो इसलिए घबरा गई थी कि ऊंचाई पर काबिज पाक सैनिकों को कैसे खदेड़ा जाए। तब पहले भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल न करने का फैसला इसलिए किया गया था क्योंकि तत्कालीन केंद्र सरकार एलओसी को पार नहीं करना चाहती थी। और फिर बोफोर्स के गोलों ने एलओसी पार कर धूम मचा दी थी। अब सेनाधिकारी एलएसी पर चीनी सेना के खिलाफ इनका इस्तेमाल कर एक बार फिर से धूम मचाने के लिए तत्पर हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Tension border Bofors Siachen Kargil China border Ladakh tested again

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