जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में धारदार हथियारों पर लगा प्रतिबंध, 'चाकूबाजी' की घटनाओं के बाद लिया गया फैसला
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 22, 2023 11:50 IST2023-07-22T11:47:39+5:302023-07-22T11:50:10+5:30
कश्मीर के लिए यह एक अति गंभीर मसला बन चुका है। दरअसल, पिछले 3 महीनों मे 15 से अधिक मामने कश्मीर में चाकूबाजी के हो चुके हैं।

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो
श्रीनगर: आतंकवाद से जूझ रहे कश्मीर में चाकू अब एक नया हथियार बन जाने के कारण प्रशासन ने अब 9 इंच से बड़े और 2 इंच से अधिक चौड़े तेजधार चाकुओं व अन्य हथियारों की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
हालांकि आपके लिए यह एक सामान्य और मामूली खबर हो सकती है पर कश्मीर के लिए यह एक अति गंभीर मसला बन चुका है। दरअसल, पिछले 3 महीनों मे 15 से अधिक मामने कश्मीर में चाकूबाजी के हो चुके हैं।
जो कश्मीरी कभी कांगड़ी को हथियार बना एक दूसरे से लड़ा करते थे वे अब चाकू को अपना साथी बना चुके हैं। यह बात अलग है कि कश्मीर में आज भी 32 सालों के आतंकवाद के दौर में एके-47 जैसी राइफलों का बोलबाला है।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, पिछले तीन महीनों के दौरान 15 से अधिक चाकूबाजी के मामलों के कारण कश्मीर अब ‘चाकूबाज कश्मीर’ के नाम से भी मशहूर होने लगा था। इन घटनाओं में 12 लोग जख्मी हुए हैं तो 4 की मौत भी हो चुकी है।
एक मामले में तो एक नाबालिग ने अपनी गर्लफ्रेंड के बाप की हत्या चाकू से इसलिए कर दी क्योंकि लड़की के बाप को दोनों का साथ गंवारा नहीं था। तीन महीनों में जो 15 से अधिक चाकूबाजी के मामले कश्मीर मं आए हैं उनमें से अधिकतर प्रेस प्रसंग के थे या फिर लड़कियों को लेकर थे।
यही नहीं एक मामले में तो एक युवा युवती ने भी अपने मंगेतर को चाकू मारकर जख्मी कर दिया था। ये युवती एक स्थानीय अखबार में बतौर पत्रकार कार्य करती है।
हालांकि अब प्रशासन ने 9 इंच से बड़े और 2 इंच से अधिक चौड़े धारदार तेज हथियारों की सार्वजनिक बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लागू कर दिया है पर मनोचिकित्सकों का कहना था कि कश्मीर में चाकूबाजी की बढ़ती घटनाओं के पीछे के असली कारणों की तह तक जाना जरूरी है।
वे मानते थे कि आतंकवाद के 32 सालों से जूझ रहे कश्मीर में अधिकतर कश्मीरी आज भी अवसाद में हैं जिनका गुस्सा अब चाकूबाजी के जरिए भी निकल रहा है।