जम्मू-कश्मीर: अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा बनी चिंता, सेना भी मैदान में
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 8, 2023 17:21 IST2023-06-08T17:13:29+5:302023-06-08T17:21:09+5:30
हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू होने वाली है। यात्रा को देखते हुए घाटी में सेना के जवानों ने सुरक्षा बढ़ा दी है।

फाइल फोटो
श्रीनगर: 30 जून से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने हजारों सैनिकों को दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में व्यापक तलाशी अभियान आरंभ करने की तैयारी करने को कहा गया है। इन अभियानों का लक्ष्य ‘तलाश करो और मार डालो’ ही होगा।
अभी तक यही होता आया था कि सेना अमरनाथ यात्रा की शुरूआत से पहले आतंकियों को क्षेत्र से भगाने का अभियान छेड़ती थी लेकिन अब रणनीति को बदल दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा अब सभी की चिंता का कारण बनने लगी है।
हालांकि सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला कहते थे कि अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए श्रद्धालु निर्भय होकर आएं। उनका कहना था कि वे एक सुरक्षित और विश्वासपूर्ण वातावरण में यात्रा करें, इसके लिए सेना पूरी तरह तैयार है।
उनका दावा था कि तीर्थयात्रा में आतंकियों व उनके समर्थकों को किसी भी प्रकार से गड़बड़ी का मौका नहीं मिलेगा। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चिंता हमेशा प्रकट की जाती है।
खासकर ताजा टारगेट किलिंग वाले हमलों के बाद। दरअसल पाकिस्तान और आतंकी बौखलाहट में हैं। एलओसी और सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों को असफल किया जा रहा है और कश्मीर वादी में आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।
ऐसे में आतंकियों पर उस पार से कुछ बड़ा करने का दबाव बना हुआ है। जबकि आतंकियों का साथ देने को अब पत्थरबाजों की फौज भी हाइब्रिड आतंकी बन उनके साथ हथियार उठा कर मैदान में है जिस कारण सुरक्षाबलों पर दोहरा भार आन पड़ा है।
बीएसएफ के कश्मीर फ्रंटियर के महानिरीक्षक अशोक यादव भी कहते थे कि यात्रा के दौरान शांति, सुरक्षा एवं विश्वास का वातावरण बनाए रखने और किसी भी आतंकी षडयंत्र को विफल बनाने के लिए विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों का एक समन्वित सुरक्षा प्रतिक्रिया तंत्र तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ भी लगभग समाप्त हो चुकी है, लेकिन एलओसी पर स्थित पहाड़ों पर बर्फ पिघल रही है और ऐसे में घुसपैठ के कई पुराने परम्परागत रास्ते भी खुलेंगे। आतंकी इन रास्तों का इस्तेमाल कर जम्मू कश्मीर में घुसपैठ का प्रयास करेंगे इसलिए आने वाले दिनों में घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी होगी जो अमरनाथ यात्रा के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
अगर रक्षाधिकारियों की मानें तो दक्षिण कश्मीर समेत अन्य इलाकों में हर बार हुए आतंकी हमले आतंकियों की उस हताशा का परिणाम होता था जो सेना के ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान से उनमें फैलती थी।
खबरों के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के रास्तों पर सेना के जवानों की तैनाती का कार्य विपरीत मौसम के बावजूद इस बार जल्दी ही आरंभ हो जाएगा और सेना तैनाती से पूर्व क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कर लेना चाहती है, चाहे वे संख्या में नगण्य ही माने जा रहे हैं।
इसे फूल प्रूफ बनाने को सेना भी पूरी तरह से मैदान में उतरने की तैयारी में है। उसका सारा जोर दक्षिण कश्मीर में है जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालु आएंगें और चिंता की बात यह है कि कश्मीर में अधिकतर आतंकी हमलों, आतंकी गतिविधियों तथा पत्थरबाजों का गढ़ भी हमेशा दक्षिण कश्मीर ही रहा है।