नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार, 26 जुलाई को लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश किया। इसमें जम्मू कश्मीर में पेशेवर शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला और नियुक्ति में आरक्षण के पात्र लोगों के नामकरण संबंधी धारा में बदलाव की बात कही गई है।
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने उक्त विधेयक पेश किया। इस दौरान मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्य शोर-शराबा कर रहे थे। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004, आरक्षण अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों के लिए पेशेवर संस्थाओं में नियुक्ति और प्रवेश में आरक्षण का उपबंध करने के लिए लागू किया गया था।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 95 की उप धारा (2) के अनुसार जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र में आरक्षण, आरक्षण अधिनियम द्वारा शासित होता रहेगा। वर्तमान में जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र में कोई विधानमंडल नहीं है। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अधीन राष्ट्रपति की उद्घोषणा द्वारा जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के विधान मंडल की शक्तियां, संसद के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन हैं।
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को आरक्षण अधिनियम की धारा 2 का संशोधन करने के लिए लाया गया है जिससे उक्त अधिनियम की धारा 2 के उपखंड 3 में आने वाले कमजोर एवं शोषित वर्गों (सामाजिक जातियां) नाम पद्धति को परिवर्तित करके ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ किया जा सके और उक्त अधिनियम की धारा 2 के खंड (थ) में पारिमाणिक संशोधन किये जा सकें।
इसमें कहा गया है कि उक्त संशोधन जम्मू कश्मीर सामाजिक और शैक्षिक पिछड़े वर्ग आयोग की सिफारिशों पर प्रस्तावित किये गए हैं जिससे नाम पद्धति में अंतर के कारण न केवल जनसाधारण के बीच बल्कि पात्र व्यक्तियों को प्रमाणपत्र जारी करने वाले सक्षम प्राधिकारियों के बीच भ्रम को दूर किया जा सके। प्रस्तावित संशोधन (एक सौ पांचवां संशोधन) अधिनियम 2021 की भावना में क्रियान्वयन को भी समर्थ बनायेगा।
(इनपुट - भाषा)