जम्मू-कश्मीर: उत्तर रेलवे ने देश की सबसे लंबी रेल टनल को मिलाने में हासिल की सफलता, जानें पूरा मामला
By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 16, 2022 12:37 PM2022-02-16T12:37:13+5:302022-02-16T12:37:56+5:30
जम्मू से कश्मीर तक रेल लाइन का 272 किमी के सफर में 105 किमी सुरंगों में होने वाले सफर का सपना अब पूरा होने वाला है क्योंकि उत्तरी रेलवे ने कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में देश की सबसे लंबी रेल टनल के दोनों सिरे मिलाने में सफलता हासिल कर ली है।
जम्मू: जम्मू से कश्मीर तक रेल लाइन का 272 किमी के सफर में 105 किमी सुरंगों में होने वाले सफर का सपना अब पूरा होने वाला है क्योंकि उत्तरी रेलवे ने कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में देश की सबसे लंबी रेल टनल के दोनों सिरे मिलाने में सफलता हासिल कर ली है। इतना जरूर था कि महत्वाकांक्षी 111 किमी लंबी कटड़ा-काजीगुंड रेलवे लाइन में सिर्फ 24 किमी तक ही यात्री खुले आकाश के दर्शन कर सकेंगे।
इस रेलवे लाइन में लगभग 105 किमी तक का सफर उन्हें सिर्फ सुरंगों में ही करना होगा। सिर्फ यही नहीं इस पूरी परियोजना के संपन्न होने पर 60 गांवों तक सड़क और रेल संपर्क भी बहाल होगा। उधमपुर-कटड़ा के बीच 25 किमी लंबी रेल लाइन पर 25 बड़े पुल, 29 छोटे पुल बनाए जा चुके हैं। इसी सेक्शन में 85 मीटर ऊंचा और 154 किलोमीटर लंबा स्टील के गार्डर वाला देश का पहला पुल भी है। उधमपुर-कटड़ा सेक्शन में बनाई जाने वाली सात सुरंगों की लंबाई 10।90 किलोमीटर है, जबकि अभी तक की सबसे लंबी सुरंग 3.18 किमी थी जिसका अब रिकॉर्ड टूट गया है।
नई 12.758 किमी लंबी टी-49 टनल में लाइन एंड लेवल ब्रेकथ्रू के साथ ही कश्मीर घाटी को रेल के जरिये सीधे देश से जोड़ने का काम तेज हो गया है। राष्ट्रीय महत्व की 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना के अधिकारी ने बताया कि टी-49 टनल बनने के बाद यह सुरंग भारतीय रेलवे की सबसे लंबी सुरंग होगी। अभी तक बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन में बनाई गई पीर पंजाल टनल (11.2 किमी) सबसे लंबी है। टी-49 टनल का दक्षिणी मुहाना रामबन जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर सुंबर गांव में है, जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 1200 मीटर है, वहीं टनल का उत्तरी मुहाना 1600 मीटर की ऊंचाई पर खड़ी तहसील के अरपिंचला गांव में है।
भारतीय रेलवे की सबसे लंबी टनल में दो ट्यूब हैं, जिसमें एक मुख्य और एक एस्केप टनल है। टनल का निर्माण आस्ट्रियल टनलिंग मैथड के साथ किया जा रहा है। सबसे लंबी टनल घोड़े की नाल जैसी घुमावदार बनाई जा रही है। बेहद चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में टनल के भीतर तक पहुंच बनाने के लिए तीन अस्थायी रास्तों का निर्माण किया गया।
यहीं से मशीनरी और अमले की आवाजाही की जा रही है। टनल में हर 375 मीटर के फासले व क्रास पैसेज बनाए गए हैं, जिससे आपात स्थिति में रेस्क्यू अथवा मरम्मत कार्य किया जा सकेगा। चढ़ाई ज्यादा होने के बावजूद यहां रेल की गति 100 किमी प्रति घंटा होगी। उधमपुर से बारामुल्ला तक प्रस्तावित 272 किमी रेल परियोजना में से 161 किमी हिस्से में चरणबद्ध तरीके से रेल परिचालन पहले ही शुरू हो चुका है। पहले चरण में 118 किमी लंबे काजीगुंड-बारामुला के बीच अक्तूबर 2009 में ट्रेनें चलने लगी थीं। इसके बाद जून 2013 में 18 किमी के बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन में रेल परिचालन शुरू हुआ।
इसके बाद जुलाई 2014 में उधमपुर-कटड़ा के बीच 25 किमी के हिस्से में रेलगाड़ियां दौड़ने लगीं। अब सिर्फ कटड़ा से बनिहाल के बीच 111 किमी का हिस्सा बाकी है। इसी हिस्से में काम चल रहा है। उधमपुर-कटड़ा सेक्शन में झज्जर खड्ड में 85 मीटर ऊंचा घाट पुल है जो कुतुबमीनार से 13 मीटर ऊंचा है। कटड़ा से काजीगुंड तक 129 किमी लंबी रेल लाइन पर 9 स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इनमें विश्व का सबसे ऊंचा आर्च पुल भी है।