जम्मू-कश्मीर: भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर टूरिस्टों के लिए खोले जाएंगे कई दर्शनीय स्थल
By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 16, 2023 04:40 PM2023-04-16T16:40:26+5:302023-04-16T16:43:07+5:30
जम्मू-कश्मीर प्रशासन अब एलओसी के पास कई गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आम लोगों के लिए खोलने की तैयारी कर रहा है ताकि इन इलाकों के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए पर्यटक आयें और सीमवार्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आय में इजाफा हो।
जम्मू: भारत-पाकिस्तान को विभाजित करने वाली एलओसी पर बंदूकों के लगातार शांत रहने के बाद अब जम्मू कश्मीर प्रशासन ने एलओसी पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों के लिए उन टूरिस्ट इलाकों को खोलने पर विचार कर रही है, जो अभी तक पाक गोलाबारी के कारण आम लोगों की पहुंच से बाहर थे।
इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि एलओसी स्थित दूरस्थ गुरेज के कई गांवों को खोलने के उपरांत, अधिकारियों ने बारामुल्ला जिले के उड़ी सेक्टर में कमान पोस्ट को पर्यटनस्थल के रूप में खोल दिया है। कमान पोस्ट एलओसी की आखिरी पोस्ट है जहां से एलओसी पर बने हुए अमन सेतु पुल का नजारा दिखता है। पुल का आधा हिस्सा भारतीय सेना के नियंत्रण में है जबकि आधे हिस्से पर पाकिस्तानी सेना नियंत्रण करती है।
दशकों से लगातार गोलाबारी का दंश झेल रहे इस क्षेत्र के लोगों में इस कवायद से स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। उनका मानना था कि सेना सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने में सबसे आगे रही है। हमें खुशी है कि पर्यटक इन क्षेत्रों को भी खोज रहे हैं। हालांकि वे मानते थे कि सरकार को इस क्षेत्र में आवश्यक बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना होगा ताकि पर्यटक सुरक्षित महसूस कर सकें।
उड़ी के रहने वाले लालद्दीन खतना का कहना है कि सरकार के इस कदम से निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने में भी मदद करेगा। वे कहते थे कि कमान पोस्ट को एक पर्यटन स्थल के रूप में खोलने से सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को भी शांति का एहसास होगा, जो एलओसी पार से गोलाबारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वे इस साल भारी संख्या में पर्यटकों की संख्या को देखते हुए कई तरह के इंतजाम करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना था कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग घर में रहने के विचार अर्थात होम स्टे में सहयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा राजस्व प्राप्त हुआ है। विभाग आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण की भी योजना बना रहा है।
दरअसल सितंबर 2021 में रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री (एमओएस) अजय भट्ट ने घोषणा की थी कि सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कश्मीर के सीमावर्ती जिलों, विशेष रूप से बांडीपोरा और कुपवाड़ा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
कुपवाड़ा के मच्छेल निवासी अब्दुल रशीद कहते थे कि इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से कई आगंतुक आए हैं और स्थानीय लोग इससे खुश हैं। राशिद के बकौल, हम इस साल अधिक पर्यटकों की उम्मीद कर रहे हैं। यह स्थानीय युवाओं को रोजगार पैदा करने में मदद कर रहा है। विशेष रूप से बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य राज्यों के पर्यटक पिछले साल एक यात्रा पर मच्छेल गए थे, जिन्हें सेना और जम्मू कश्मीर वन विभाग द्वारा सुविधा प्रदान की गई थी।
युद्धविराम से पहले इन क्षेत्रों को बिना पूर्व आवश्यक अनुमति के किसी भी नागरिक आवाजाही के लिए प्रतिबंधित किया गया था। हालांकि प्रशासन ने अब यात्रियों के लिए इसे काफी आसान कर दिया है। कुपवाड़ा जिला प्रशासन के एक अधिकारी कहते थे कि आप जिला प्रशासन की वेबसाइट पर ई-अनुमति के लिए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं और इसे कुछ ही समय में प्राप्त कर सकते हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने अगस्त 2021 में कुपवाड़ा जिले की बंगस घाटी में पर्यटन उत्सव का भी आयोजन किया था।