श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में 35 सालों से लिप्त भारतीय सेना ने अगस्त 2019 के बाद के कश्मीर के हालात को बेहतर से बेहतर बताते हुए कहा है कि सब कंट्रोल में है पर कश्मीर के भीतरी भागों से सेना नहीं हटाई जा सकती। ऐसा कहने के पीछे उनका मत था कि अभी और अच्छे होने की उम्मीद बाकी है।
सेना की 15वीं कोर के जीओसी ले जनरज एडीएस औजला पत्रकारों के साथ बात कर रहे थे। उनका पूरा जोर कश्मीर के हालात की सुंदर तस्वीर पेश करने पर था। वे दावा करते थे कि कश्मीर में सब चंगा है।
वे स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में होने का दावा करते थे और कहते थे कि इसमें सेना की अहम भूमिका रही है जो 34 सालों के बाद आतंकियों की संख्या को 50 से भी कम पर लाने में कामयाब हुई है पर वे इस सवाल पर कि अगर आतंकी 50 से भी कम हो चुके हैं तो लाखों सैनिकों की कश्मीर के भीतरी भागों में क्या आवश्कता है, कहते थे कि उनको हटाने का अभी समय नहीं आया है।
वे कहते थे कि अभी भी कश्मीर में और अच्छा होने की उम्मीद है। कश्मीर के भीतरी इलाकों से सैनिकों की बैरकों में वापसी पर वे कहते थे कि कुछ भी निश्चित तौर नहीं कहा जा सकता।
हालांकि, वे कहते थे कि इसका फैसला राजनीतिक नेतृत्व को करना है पर सैनिक के रूप में उन्हें लगता था कि अभी बहुत कुछ अच्छा होने की उम्मीद छोड़ी नहीं जा सकती।
औजला कहते थे कि दक्षिण कश्मीर में अक्सर आतंकी चुनौती बनते रहते हैं पर अब वे उन्हें खदेड़ने में कामयाब रहे हैं। जबकि पाकिस्तान के आंतरिक हालात का कश्मीर पर कोई प्रभाव होगा या नहीं के सवाल पर वे कहते थे कि ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती।
हालांकि उनका कहना था कि तालिबान 2.0 से कुछ शंकाएं पैदा हुई थीं पर वे निराधार साबित हुई हैं। और इसका श्रेय वे अपने उन सतर्क जवानों को देते थे जो एलओसी पर जान की बाजी लगा रहे हैं।