जम्मू-कश्मीरः 12 साल, 2863 कुदरती हादसा और 552 मौत, आईएमडी की पत्रिका मौसम में प्रकाशित नए अध्ययन में खुलासा
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 18, 2025 12:31 IST2025-08-18T12:30:26+5:302025-08-18T12:31:36+5:30
Jammu and Kashmir: कुपवाड़ा, बांडीपोरा, बारामुल्ला और गंदरबल में बर्फबारी से सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि किश्तवाड़, अनंतनाग, गंदेरबल और डोडा अचानक बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

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जम्मूः भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की पत्रिका मौसम में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि पिछले एक दशक में जम्मू-कश्मीर में चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे सैकड़ों लोगों की जान गई है। 2010 और 2022 के बीच, इस क्षेत्र में 2,863 घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 552 मौतें हुईं। बिजली गिरने की सबसे ज़्यादा घटनाएँ 1,942 रहीं, इसके बाद भारी वर्षा के 409 और अचानक बाढ़ के 168 मामले आए। हालाँकि, भारी बर्फबारी सबसे घातक साबित हुई, जिसमें 42 घटनाओं में 182 मौतें हुईं।
कुपवाड़ा, बांडीपोरा, बारामुल्ला और गंदरबल में बर्फबारी से सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि किश्तवाड़, अनंतनाग, गंदेरबल और डोडा अचानक बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। आईएमडी के वैज्ञानिकों और एक आईसीएआर शोधकर्ता द्वारा लिखित इस अध्ययन में 10 आईएमडी केंद्रों और चार दशकों के वर्षा रिकॉर्ड के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया।
निष्कर्षों से पता चला कि भारी बर्फबारी और मृत्यु दर के बीच एक मज़बूत संबंध है। आईएमडी श्रीनगर के निदेशक मुख्तार अहमद ने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन से ऐसी घटनाएँ और बढ़ेंगी, क्योंकि ऊँचे क्षेत्रों में वायुमंडल की नमी क्षमता पहले ही 7-10 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। उन्होंने मज़बूत आपदा प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से किश्तवाड़ में मचैल यात्रा जैसे संवेदनशील तीर्थ मार्गों पर, जो हाल ही में बादल फटने से तबाह हो गए थे।