जम्मू: अमरनाथ यात्रा का रहा है विवादों से चोली-दामन का साथ, जानिए कब-कब हुआ है तनाव

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 4, 2023 01:30 PM2023-07-04T13:30:09+5:302023-07-04T13:33:27+5:30

जम्मू की पवित्र अमरनाथ यात्रा का दशकों से विवादों के साथ चोली-दामन का रिश्ता रहा है। बीते तीन दशक के दौरान श्री अमरनाथ यात्रा के लगभग 120 श्रद्धालुओं की हत्या की जा चुकी है।

Jammu: Amarnath Yatra has been surrounded by controversies | जम्मू: अमरनाथ यात्रा का रहा है विवादों से चोली-दामन का साथ, जानिए कब-कब हुआ है तनाव

जम्मू: अमरनाथ यात्रा का रहा है विवादों से चोली-दामन का साथ, जानिए कब-कब हुआ है तनाव

Highlightsजम्मू की पवित्र अमरनाथ यात्रा का दशकों से विवादों के साथ चोली-दामन का रिश्ता रहा हैबीते तीन दशक के दौरान श्री अमरनाथ यात्रा के लगभग 120 श्रद्धालुओं की हत्या की जा चुकी हैकई बार आतंकी संगठनों ने अमरनाथ यात्रा को लेकर सार्वजनिक धमकी भी दी है

जम्मू: वार्षिक अमरनाथ यात्रा एक बार फिर से विवादों में है। इस बार के विवाद की वजह बना है, यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा की खातिर सारे प्रदेश में की जाने वाली रोडबंदी। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मद्देनजर की जा रही रोडबंदी पर खासा बवाल मचा हुआ है। ऐसा नहीं है कि अमरनाथ यात्रा के साथ विवाद का यह पहला संबंध है। इससे पहले भी अमरनाथ यात्रा का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है।

हालांकि पिछले साल तो रोडबंदी के साथ-साथ रेलबंदी भी विवाद का प्रमुख कारण बनी थी क्योंकि प्रशासन ने सुरक्षा के नाम पर कश्मीर में प्रतिदिन कई-कई घंटों तक रेलों का परिचालन रूकवा दिया था। कश्मीर में फैले आतंकवाद के साथ ही अमरनाथ यात्रा के नाम पर बार-बार विवाद पैदा करने के प्रयास पहले भी होते रहे हैं। वर्ष 1990 के बाद आतंकी संगठन हरकत उल अंसार ने इस यात्रा पर रोक लगाने का फतवा जारी कर दिया।

वैसे साल 1996 के बाद कभी भी आतंकी संगठनों ने सार्वजनिक तौर पर अमरनाथ यात्रा के खिलाफ किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन श्रद्धालुओं को बार-बार निशाना बनाने की साजिश रची जाती रही है। बीते तीन दशक के दौरान श्री अमरनाथ यात्रा के लगभग 120 श्रद्धालुओं की हत्या की जा चुकी है। भले ही मौसम के कारण कभी बाधा आई हो पर श्रद्धालुओं का जोश लगातार बढ़ता ही रहा है।

अलगाववादी सीधे शब्दों में इस यात्रा को भारतीयता से जोड़ते हुए कहते हैं और उन्हें डर है कि कश्मीर में उनकी दुकानें कमजोर हो सकती हैं। चूंकि आम कश्मीरी की इसमें सीधी भागेदारी होती है। इसलिए वह धर्म की आड़ लेने से नहीं चूकते। यह दुष्प्रचार किया जाता है कि आरएसएस इस यात्रा को बढ़ा रही है और उनके संगठन पूरे कश्मीर को शैव परंपरा का एक बड़ा तीर्थ क्षेत्र घोषित करने के लिए इस तीर्थयात्रा को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन वह खुलकर विरोध करने का साहस नहीं कर पाते। इसके साथ ही प्रत्यक्ष तौर पर इसे कश्मीर की साझी विरासत का प्रतीक बताते हैं।

यह विरोध चलते रहे पर अलबत्ता यात्रा के खिलाफ कश्मीर में अगर मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने सार्वजनिक तौर पर अपना विरोध जताया तो वर्ष 2003 में पीडीपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के दौर में। राज्य सरकार और बोर्ड के बीच या फिर यूं कहा जाए कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और तत्कालीन राज्यपाल एसके सिन्हा के बीच विवाद यात्रा की अवधि को लेकर शुरु हुआ। तत्कालीन राज्यपाल एसके सिन्हा चाहते थे कि यात्रा की अवधि को बढ़ाया जाए लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सहमति नहीं थी।

इस यात्रा पर जबरदस्त सियासत वर्ष 2008 में हुई। अमरनाथ भूमि आंदोलन के बहाने पहली बार जम्मू संभाग कश्मीरी दबंगई के खिलाफ उठ खड़ा हुआ। विवाद उस समय शुरु हुआ जब राज्य सरकार ने बालटाल में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बोर्ड को अस्थायी तौर पर जमीन देने का फैसला किया।

पीडीपी ने इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद से समर्थन वापस ले लिया। हंगामा बोर्ड को जमीन देने के फैसले से शुरू हुआ था लेकिन यात्रा शुरु होने से पहले प्रमुख अलगाववादी नेता मसर्रत आलम ने अलगाववादी एजेंडे पर हंगामा शुरू कर दिया और अब एक बार फिर अमरनाथ यात्रा विवादों से घिरी हुई है लेकिन श्रद्धालुओं पर इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आता है और यह अविरल रूप से बढ़ती जा रही है।

Web Title: Jammu: Amarnath Yatra has been surrounded by controversies

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