VIDEO: तमिलनाडु में पोंगल फेस्टिवल का मना जश्न, ऐसे खेला गया जलीकट्टू का खेल
By रामदीप मिश्रा | Updated: January 14, 2018 10:23 IST2018-01-14T10:21:28+5:302018-01-14T10:23:09+5:30
दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले पोंगल त्योहार की पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए खेल का आयोजन किया। यह खेल हमेशा से ही चर्चा में रहा है।

jallikattu
तमिलनाडु में रविवार (14 जनवरी) को जलीकट्टू खेल का आयोजन मुदरै में किया गया, जिसका लोगों ने जमकर आनंद उठाया है। दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले पोंगल त्योहार की पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए खेल का आयोजन किया। यह खेल हमेशा से ही चर्चा में रहा है। इसमें बैलों के साथ खेला जाता है। वहीं, पिछले दिनों भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आयोजकों को बैलों का चयन करने से पहले उनके स्वस्थ होने को लेकर परीक्षण करने के निर्देश दिए थे।
#WATCH: #Jallikattu event organized in Tamil Nadu's Madurai pic.twitter.com/s9HWo2LXIH
— ANI (@ANI) January 14, 2018
बता दें, जलीकट्टू तमिलनाडु में एक बहुत पुरानी परंपरा है। यह जलीकट्टू नई फसल के लिए मनाए जाने वाले त्योहार पोंगल का हिस्सा है। इस त्योहार से पहले गांव के लोग अपने-अपने बैलों की प्रैक्टिस करवाते हैं, जहां मिट्टी के ढेर पर बैल अपनी सींगों को रगड़ कर जलीकट्टू की तैयारी करता है। बैल को खूंटे से बांधकर उसे उकसाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है, ताकि उसे गुस्सा आए और वो अपनी सींगों से वार करे।
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— ANI (@ANI) January 14, 2018
खेल के शुरू होते ही पहले एक एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है। ये गांव के सबसे बूढ़े बैल होते हैं। इन बैलों को कोई नहीं पकड़ता, ये बैल गांव की शान होते हैं और उसके बाद जलीकट्टू का असली खेल शुरू होता है। मुदरै में होने वाला ये खेल तीन दिन तक चलता है।
इस खेल के लिए 300 से 400 किलो के बैलों को इंसानों द्वारा चुनौती दी जाती है। रिवाज कुछ ऐसा है कि बैलों के सीगों पर लगे नोट उतारने के लिए लोग जान की परवाह भी नहीं करते। खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बैल का इंतजार करते हैं और जो फुर्ती और मुस्तैदी दिखाकर सांड को चंद सेकेंड भी रोकने में कामयाब होता है वो सिकंदर बन जाता है।